जब एक विमान जिसका नाम ही “ड्रीमलाइनर” है — सपनों, उड़ानों और आधुनिकता का प्रतीक — आग की लपटों में गिरकर राख हो जाता है, तो वह सिर्फ एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय त्रासदी बन जाता है। एयर इंडिया की फ्लाइट 171, जो अहमदाबाद से लंदन गेटविक जा रही थी,
टेक-ऑफ से त्रासदी तक: कुछ ही सेकंडों में सब खत्म
विमान ने जैसे ही उड़ान भरी, वह 625 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गया, और ज़मीन से टकराने के साथ ही एक भीषण विस्फोट हुआ। वीडियो फुटेज और प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि विमान ने “पॉजिटिव क्लाइंब” हासिल नहीं किया और हाई एंगल ऑफ अटैक के साथ गिरा — एक स्पष्ट संकेत कि कुछ गंभीर तकनीकी गड़बड़ी हुई।

दुर्घटना स्थल पर मौजूद बीजे मेडिकल कॉलेज की इमारत पर विमान का गिरना, और वहां कम-से-कम पांच युवा डॉक्टरों की मौत, इस त्रासदी को और भी ज्यादा पीड़ादायक बनाता है।
विश्व का ध्यान: ड्रीमलाइनर का पहला दुर्घटनाग्रस्त होना
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, जो एयर इंडिया के लिए सीधे खरीदा गया था, का यह पहला बड़ा हादसा है। इस विमान ने लगभग 41,000 घंटे और 8,000 टेक-ऑफ-लैंडिंग साइकल पूरे किए थे — जो किसी भी 10 वर्षीय विमान के लिए सामान्य है। फिर भी, यह हादसा इस पूरे मॉडल को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करता है, खासकर तब जब बोइंग के एक व्हिसलब्लोअर ने विनिर्माण प्रक्रियाओं की अनियमितताओं की शिकायत की थी।
क्या भारतीय विमानन सुरक्षित है?
भारत की घरेलू विमानन सेवा दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच रही है — अमेरिका और चीन के बाद। पर सवाल यह है:
🔹 क्या हमारे एयरपोर्ट्स, रनवे, एटीसी, इंफ्रास्ट्रक्चर और आपातकालीन सेवाएं इस दबाव को संभाल सकती हैं?
🔹 क्या पुराने शहरी एयरपोर्ट्स, जैसे अहमदाबाद, बड़े विमानों और बढ़ती फ्लाइट्स के लिए उपयुक्त हैं?
🔹 क्या आसपास की घनी आबादी और इमारतें सुरक्षा के मानकों को चुनौती नहीं देतीं?
अहमदाबाद एयरपोर्ट: चेतावनी को नजरअंदाज किया गया?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अहमदाबाद एयरपोर्ट में एक सिंगल रनवे है, और टैक्सीवे विस्तार और आसपास की इमारतों को हटाने की योजना पर शायद अमल नहीं हुआ। विमान का बीजे मेडिकल कॉलेज से टकराना, और कई लोगों की मृत्यु होना दर्शाता है कि सुरक्षा पर समझौता हुआ है।
बोइंग की भूमिका: सिर्फ हादसा या लापरवाही?
बोइंग को पहले भी 737 मैक्स हादसों (लायन एयर और इथोपियन एयरलाइंस) के कारण कठघरे में खड़ा किया गया था। अब 787 को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या गुणवत्ता जांच, मॉड्यूल असेंबली और फ्लाइट टेस्टिंग में कोई चूक हुई?
भारत की एयर एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की रिपोर्ट और अमेरिका की NTSB, FAA, Boeing, General Electric और ICAO की साझेदारी में हो रही जांच पर अब पूरे विश्व की नजर है।
निष्कर्ष: अब सिर्फ जवाब नहीं, बदलाव चाहिए
यह हादसा महज तकनीकी गलती नहीं, बल्कि नीतिगत चूक, नियामकीय ढिलाई और इन्फ्रास्ट्रक्चर की उपेक्षा का परिणाम है। भारत को अब एक राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा सुधार योजना पर तुरंत अमल करना चाहिए, जिसमें निम्नलिखित कदम हों:
✅ शहरी एयरपोर्ट्स की पुनर्समीक्षा और संचालन सीमित करना
✅ विमानों के नियमित सेफ्टी ऑडिट
✅ एयरपोर्ट्स के आसपास पब्लिक सेफ्टी ज़ोन बनाना
✅ एयर ट्रैफिक कंट्रोल और ग्राउंड स्टाफ के लिए उन्नत प्रशिक्षण
✅ हर दुर्घटना के बाद पूर्ण पारदर्शिता और जिम्मेदारियों की जवाबदेही
✈️ उड़ान सिर्फ गंतव्य तक पहुंचने का साधन नहीं, बल्कि लोगों के सपनों, परिवारों और भविष्य की डोर होती है। जब वह टूटती है, तो एक देश की आत्मा कांप उठती है।**
राजा रघुवंशी की तरह, अब इन 265 आत्माओं की भी यही मांग है — न्याय, पारदर्शिता और भविष्य में ऐसी त्रासदी की रोकथाम।

Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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