मध्य प्रदेश ने शासन-प्रणाली में एक ऐसा प्रयोग किया है, जिसने परंपरागत सरकारी कार्यप्रणाली की छवि को जड़ से बदल दिया है। Sampada 2.0 के ज़रिए राज्य ने लंबी कतारों, कागज़ी फाइलों और जटिल प्रक्रियाओं के बोझ को खत्म कर नागरिक सेवाओं को पूरी तरह डिजिटल और त्वरित बना दिया है। यही कारण है कि इस पहल को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस स्वर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पहले, भूमि पंजीयन या किराया अनुबंध जैसे कार्य हफ़्तों तक अटके रहते थे। अब वही प्रक्रिया कुछ मिनटों में ऑनलाइन पूरी हो जाती है। चाहे किसान हो, बुज़ुर्ग वारिस हो या नया उद्यमी—सबको अब सरकारी दफ़्तरों में चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन और वाणिज्यिक कर विभाग की तकनीकी दक्षता से तैयार इस प्रणाली में आधार-आधारित पहचान, GIS आधारित लोकेशन ट्रैकिंग और तत्काल दस्तावेज़ उपलब्धता जैसी आधुनिक सुविधाएँ शामिल हैं। इससे प्रशासन न केवल तेज़ हुआ है बल्कि पारदर्शी भी बना है।
हालाँकि, डिजिटल बदलाव के साथ समावेशिता और साइबर सुरक्षा भी उतनी ही ज़रूरी है। इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल साक्षरता और डेटा सुरक्षा को मज़बूत करके ही इस पहल के लाभ को हर नागरिक तक पहुँचाया जा सकता है।
Sampada 2.0 ने यह साबित कर दिया है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति और तकनीक एक साथ काम करें, तो बदलाव केवल संभव ही नहीं, बल्कि स्थायी भी हो सकता है। अब सवाल यह है कि क्या देश के अन्य राज्य भी इस राह पर आगे बढ़ने का साहस दिखाएँगे?
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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