पाकिस्तान में पानी के संकट ने बढ़ाई अलगाव की आग:
भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच, पाकिस्तान के भीतर भी गंभीर राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिल रही है। खासकर सिंध और बलूचिस्तान के इलाकों में, जहां पानी की कमी और सरकारी नीतियों के कारण अलगाव की मांग जोर पकड़ रही है।
सिंध की पुरानी आंधी
1970 के दशक से सिंध में स्वतंत्रता की आवाज़ें उठ रही हैं, लेकिन हाल के दिनों में ये आंदोलन और तेज हो गया है। सरकार द्वारा पंजाब के चोलिस्तान क्षेत्र में छह नए नहरों के निर्माण की योजना ने सिंध के किसानों को चिंतित कर दिया है। उनका मानना है कि अगर सिंध के लिए पानी की आपूर्ति घटाई गई, तो खेती-बाड़ी संकट में पड़ जाएगी और लाखों लोग प्रभावित होंगे।
प्रदर्शन से हिंसा की ओर
सरकार की अनदेखी के कारण विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले गए। मई 2025 में सिंध के गृह मंत्री के घर में आग लगाई गई, जो क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा रहा है। ऐसे हालात पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता को भारी चुनौती दे रहे हैं।
भारत का ‘इंडस वाटर ट्रीटी’ निलंबन और इसका प्रभाव
भारत द्वारा इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करने का फैसला सिंध की जल संकट को और गंभीर बना रहा है। सिंध क्षेत्र में पानी की कमी लगभग 40 प्रतिशत है, जो कृषि और जीवन दोनों के लिए खतरा बन गया है।
सामाजिक और राजनीतिक असमानताएँ
सिंध में स्थानीय सिंधी समुदाय के साथ प्रशासनिक पदों पर भेदभाव और सांस्कृतिक दबाव बना हुआ है। हिंदू समुदाय के पलायन के बाद आए उर्दू भाषी मुहाजिरों ने प्रशासन पर कब्ज़ा कर लिया है, जिससे स्थानीय सिंधी लोगों में असंतोष बढ़ा है।
पानी की लड़ाई या आज़ादी की पुकार?
चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट केवल जल स्रोत का विवाद नहीं है, बल्कि सिंध के लोगों की असली मांग उनकी पहचान, अधिकार और स्वतंत्रता की है। बढ़ती बेरोजगारी, सामाजिक अन्याय और संसाधनों की कमी ने लोगों को पाकिस्तान से अलग होने की राह पर ला दिया है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान के अंदरूनी विवाद गहराते जा रहे हैं, जहां सिंध और बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांगें देश की एकता के लिए खतरा बनती जा रही हैं। गृह मंत्री के घर जलने जैसी घटनाएं इस अस्थिरता के बढ़ते संकेत हैं, जो आने वाले दिनों में और बड़े संकट की ओर इशारा करती हैं।
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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