भारतीय क्रिकेट इस समय संक्रमण के मोड़ पर खड़ा है। रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे दो स्तंभों के अचानक संन्यास लेने के बाद जो रिक्तता बनी है, वह सिर्फ अनुभव की नहीं, नेतृत्व की भी है। इसी शून्य में भारतीय क्रिकेट ने जिस युवा कंधे पर उम्मीदों का भार रखा है, उसका नाम है शुभमन गिल।
25 वर्षीय गिल को इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट टीम की कप्तानी सौंप दी गई है — वह भी ऐसे समय में जब टीम का चेहरा तेजी से बदल रहा है और भीतर अनिश्चितता का माहौल है। यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं है, बल्कि एक साहसिक दांव है — और साथ ही एक सवाल भी: क्या गिल सिर्फ प्रतिभा से नेतृत्व की आग में तप सकते हैं?

नेतृत्व: सौभाग्य या संत्रास?
ऐसे में यह कप्तानी का सौभाग्य है या एक संत्रास, यह आने वाला समय बताएगा।
गिल को कप्तानी इसलिए नहीं मिली कि उन्होंने खुद को अपराजेय साबित किया है, बल्कि इसलिए कि बाकी विकल्प या तो अनुपलब्ध थे, या अनिच्छुक। जसप्रीत बुमराह ने फिटनेस के चलते खुद को दूर रखा, अश्विन बीच श्रृंखला में टीम छोड़ चुके हैं, और बाकी युवा अभी बहुत कच्चे हैं।
आईपीएल से टेस्ट: एक असहज छलांग
आईपीएल की चकाचौंध से सीधे लीड्स की ठंडी, स्विंग से भरी पिचों पर उतरना किसी भी कप्तान के लिए आसान नहीं होता — ख़ासकर जब तैयारी के नाम पर बस एक अभ्यास मैच हो और वह भी इंडिया ए के खिलाफ। लेकिन गिल को यही करना है। यह सिर्फ रणनीतिक परीक्षा नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहनशक्ति का भी इम्तिहान होगा।
यह भी गौरतलब है कि भारत अब तक इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला कभी नहीं जीत सका है। पिछली बार 2021-22 में मुकाबला 2-2 पर छूटा था। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में गिल का नेतृत्व एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है — लेकिन हर नई शुरुआत में जोखिम होता है, और कभी-कभी बलिदान भी।
उम्मीद और आशंका के बीच
गिल आज के युवाओं की उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो आत्मविश्वास में कमी नहीं रखते, लेकिन जिनके पास अनुभव का गहना अभी नहीं है। उन्हें यह समझना होगा कि कप्तानी सिर्फ फ़ील्ड सेट करना या गेंदबाज़ बदलना नहीं, बल्कि एक टीम की नब्ज़ को समझना है — और कभी-कभी खुद को पीछे रखकर दूसरों को आगे लाना भी।
यह दौर भारतीय टेस्ट क्रिकेट के लिए बेहद निर्णायक है। यह केवल मैच जीतने या हारने का नहीं, बल्कि नए नेतृत्व को परखने और संजोने का समय है। शुभमन गिल इस समय सिर्फ एक कप्तान नहीं हैं — वह उस उम्मीद का चेहरा हैं, जो विराट और रोहित के बाद एक नई रेखा खींचना चाहती है।
हो सकता है उनके रास्ते में कांटे हों, असफलताएँ भी आएँ — लेकिन अगर वह इनसे लड़ते हुए अपनी जगह बना पाए, तो यही ‘कांटों का ताज’ एक सुनहरे युग का अग्रदूत बन सकता है।

Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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