महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में आधी रात को जब अधिकतम यात्री नींद के आगोश में रहे होंगे एक स्लीपर बस दुर्घटना का शिकार हो जाती है उसमें आग लगती है और अधिकतम यात्री काल के गाल में समा जाते हैं. इसके बाद शासकीय औपचारिकताएं प्रारंभ होती हैं बचाव का काम मुआवजा और भारत के राष्ट्रपति से लेकर लगभग लगभग सभी जिम्मेदारों की शोक संवेदनाए. इस प्रकार की सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयासरत एवं केंद्र एवं राज्य सरकार को इन दुर्घटनाओं को रोकने कें बाबत अपनी सलाह देने वाली राज्य एवं केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियां कम से कम वर्तमान में तो शांत बैठी हुई हैं. राज्य सरकार अब अपने गहन संवेदना व्यक्त करने के बाद उन्हीं बिंदुओं पर आगे बढ़ेगी जिस पर पिछली इसी प्रकार की दुर्घटनाओ बाबत वह आगे बढ़ी थी. अपनी नाकामी ढकने के लिए एक शिफूगा सरकार के जिम्मेदार पहले ही छोड़ चुके हैं कि बस का टायर फट गया था जिसे महाराष्ट्र आरटीओ ने सिरे से नकार दिया है कहने का मतलब अपनी बला सिर से कैसे उतारी जाए यह प्रतिस्पर्धा आवश्यक प्रारंभ हो गई है. और यह मूल विषय अपने अंजाम से भटक गया है. प्रथम दृष्टया तो ऐसा स्पष्ट प्रतीत होता है ग्रामीण क्षेत्र में बनाए गए डिवाइडर पर किसी प्रकार के संकेतक ना होने के कारण ड्राइवर से आकलन में गलती हुई है और वह डिवाइडर से टकराकर दुर्घटना का शिकार हुई है यह एक गंभीर मसला है जिस पर जिम्मेदारों का कोई चिंतन और मनन नहीं है. क्योंकि भूतकाल में भी अनेक शहरों में जिसमें मध्यप्रदेश के इटारसी और पिपरिया नगरों में इस प्रकार की गंभीर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. गंभीर दुर्घटनाओं के अनेक कारणों में यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है यदि केंद्र एवं राज्य सरकार वास्तव में दुर्घटनाओं के अनेक कारणों में इस महत्वपूर्ण कारण को भी शामिल करें और इस पर गंभीरता के साथ चिंतन मनन करें तो संभवत बुलढाणा जैसी हृदय विदारक दुर्घटना को रोका जा सकता हैl
शिव मोहन सिंह


Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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