“अब बिजली का बिल नहीं आता, बल्कि बिजली ही कमाई का जरिया बन गई है…”
ये सुनने में भले फिल्मी लगे, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह अब सच्चाई है।
जहां एक ओर बिजली की बढ़ती कीमतें आम आदमी के बजट को झटका देती रही हैं, वहीं दूसरी ओर अब एक ऐसी योजना है, जिसने आम लोगों को सिर्फ बिजली का उपभोक्ता नहीं, बल्कि बिजली का उत्पादक और कारोबारी बना दिया है।

यह कोई सपना नहीं, बल्कि पीएम सूर्यघर योजना का असली असर है, जो छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में ऊर्जा लोकतंत्र की नींव रख रहा है।
☀️ धूप अब सिर्फ तपन नहीं, कमाई का जरिया है
छत्तीसगढ़ की गर्म दोपहरें, जो कभी बिजली कटौती और ओवरलोड की वजह बनती थीं, अब उन्हीं धूप में घरों की छतों पर लग रहे सोलर पैनल बिजली बना रहे हैं — घर की जरूरत से ज़्यादा!
यह अतिरिक्त बिजली सीधे राज्य के ग्रिड में जा रही है, और बदले में उपभोक्ताओं को आ रहा है एक ‘माइनस में बिल’ — यानी अगले महीने की बिजली मुफ्त!
💡 बाबूलाल नहीं अब अकेले नहीं हैं
रायगढ़ जिले के बाबूलाल चौधरी ने जब अपने घर की छत पर 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाया, तब शायद उन्हें भी अंदाज़ा नहीं था कि अप्रैल की गर्मी में उनका बिजली बिल -1417 रुपए आएगा।
मतलब?
बिल देना नहीं है, बल्कि बिजली विभाग आपकी ओर एडवांस में बैलेंस जमा कर रहा है!
इस सिस्टम से वे साल भर के गर्म महीनों में भी कूलर और पंखे आराम से चला रहे हैं, और फिर भी उनका जेब हल्का नहीं हो रहा — उल्टा बचत हो रही है।
🏛️ सरकार का रोल: सहायक नहीं, भागीदार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुई यह योजना जब छत्तीसगढ़ पहुंची, तो मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे महज केंद्र योजना के रूप में नहीं देखा। उन्होंने इसे राज्य की प्राथमिकता बनाया।
अब छत्तीसगढ़ सरकार भी हर लाभार्थी को 30,000 रुपये तक की अतिरिक्त सब्सिडी दे रही है।
कुल मिलाकर एक आम परिवार 1 से 3 किलोवाट के सिस्टम पर 45,000 से 1,08,000 रुपये तक की सहायता प्राप्त कर सकता है।
🔄 अब बिजली एकतरफा सेवा नहीं, द्विपक्षीय भागीदारी है
पुराना सिस्टम: सरकार बिजली बनाएगी, आप खपत करेंगे, और बिल भरेंगे।
नया सिस्टम:
आप बिजली बनाएंगे, खपत करेंगे, और जो बचेगी वो सरकार को बेचेंगे।
यह बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं, यह एक सोच का बदलाव है — ऊर्जा के स्वामित्व का।
🌍 यह सिर्फ बचत नहीं, पर्यावरण की सेवा भी है
हर घर जो सौर ऊर्जा अपनाता है, वह:
- कोयला और डीज़ल आधारित बिजली पर निर्भरता घटाता है
- कार्बन उत्सर्जन कम करता है
- आने वाली पीढ़ियों के लिए हरियाली और हवा बचाता है
यह योजना “पैसा बचाओ” से बढ़कर “प्रकृति बचाओ” की ओर ले जाती है।
📣 क्या आप भी तैयार हैं?
आपकी छत खाली है, धूप बेकार जा रही है, और बिजली बिल बढ़ता ही जा रहा है…
अब समय है उस धूप को धन में बदलने का।
अपने नजदीकी बिजली कार्यालय में संपर्क कीजिए, पीएम सूर्यघर योजना से जुड़िए, और घर को बिजली का केंद्र बनाइए।
🔚 निष्कर्ष:
पीएम सूर्यघर योजना कोई सरकारी स्कीम नहीं, यह एक मौका है – खुद पर, अपने संसाधनों पर, और अपने भविष्य पर यकीन करने का।
अब घर की छत सिर्फ छाया देने का नहीं, कमाई और स्वतंत्रता देने का ज़रिया भी बन चुकी है।

Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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