महकमे के अफसरों को वनों की सुरक्षा से नहीं है सरोकार
विभाग द्वारा किए गए वृक्षारोपण के गड्ढों को समतल कर तान दिया फार्महाउस
छतरपुर। जिनके के कंधों पर वनों की सुरक्षा की जिम्मेवारी हो उस जिम्मेवारी को अफसर भूलकर केवल अपने कर्तव्यों की औपचारिकता कर रहे हो। ऐसे में वनों की सुरक्षा उन अफसरों से कैसे की जा सकती है, यही कारण है कि जिले का वन क्षेत्रफल दिनों-दिन घटता जा रहा है। चौंकाने वाले आंकड़े सामने निकलकर आ रहे है। जहां पर घनघोर जंगल हुआ करते थे वहां पर लोगों के द्वारा फार्महाउस निर्मित कर लिए गये है और धड़ल्ले से खेती की जा रही है। वर्तमान में छतरपुर जिले के वनों की सुरक्षा की जिम्मेवारी पन्ना जिले के अफसर को सौंपी गई है। दक्षिण पन्ना में पदस्थ डीएफओ पुनीत सोनकर के पास छतरपुर जिले का अतिरिक्त प्रभार है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रोजाना सैकड़ों फाइलें हस्ताक्षर के लिए पन्ना भेजी जाती है। वह सप्ताह में केवल एक दिन ही छतरपुर आते है। ऐसे में मैदानी अमले के द्वारा लापरवाही बरती जाना सौभाविक प्रतीत होता है। पन्ना में पदस्थ होने के कारण डीएफओ की जिम्मेवारी पन्ना जिले के वनों की सुरक्षा की है। छतरपुर में वह केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए ही आते है, उन्हें जंगल की सुरक्षा से कोई सरकार नहीं है।
छतरपुर वनपरिक्षेत्र की हमा बीट के कक्ष क्रमांक 619 में जिसकी दूरी रेंज कार्यालय से महज 1 किमी. की होगी विभाग के द्वारा वृक्षारोपण हेतु करीब 16 हजार से अधिक गंढ्डे उक्त बीट में खोदे गये थे। सूत्र बताते हैं कि गड्ढों की खुदाई का विभाग के द्वारा भुगतान भी करवा दिया गया है। अब उस पर पौधों को रोपा जाना था, पौधे रोपे जाते इसके पूर्व ही शहर के रसूखदार व्यक्ति के द्वारा गड्ढों को समतल करके चारों ओर तार फेंसिंग तथा खूंटा गाड़कर जंगल से ही झाडिय़ा काटकर बाड़-बारी लगा दी गई है। इतना सब होने के बावजूद भी विभाग के अफसरों के द्वारा बेदखली की कार्यवाही करना तो दूर उक्त अतिक्रमणकारी को नोटिस भी देना उचित नहीं समझा। जिस कारण जिले में अतिक्रमणकारियों के हौसले दिनों-दिन बुलंद होते जा रहे है कि वह अपनी मनमानी पर उतारू है और विभाग के अफसरों की निष्क्रिय कार्यशैली का बेजा इस्तेमाल कर रहे है।
बेशकीमती है जंगल –
सागर-कानपुर नेशनल हाइवे एनएच-86 से वह जंगल सटा हुआ है। शहर की बसीकत समाप्त होते ही जंगल की सीमा लग जाती है। जिस कारण अतिक्रमणकारी ने इसका लाभ उठाते हुए जंगल को नष्ट करके खेती को उपजाऊ जमीन बनाकर फार्म हाउस तान दिया है। विभाग के द्वारा पूर्व में भी उक्त भूमि पर लूज बोलडर चेक डेम बनवाए गये थे जो आज भी तार-बाड़ी के अंदर बने हुए है और धीरे-धीरे छोटी-छोटी झाडिय़ों को काटकर उनमें आग लगा दी गई है। जिससे मैदान निकल आया और अतिक्रमणकारी के द्वारा अस्थाई रूप से टपरा भी बना दिया गया है, भविष्य में उस जमीन पर कॉलोनी बसाने की योजना भी बनाई जा रही है।
वन्यजीवों का है विचरण क्षेत्र-
ग्राउंड पर जाकर तस्दीक की गई तो वहां का नजारा कुछ और ही था, एक साथ हिरणों के झुंड व नीलगाय तथा अन्य वन्यजीव विचरण कर रहे थे। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि यहां पर घनघोर जंगल था लोग यहां आने में डरा करते थे, यहां पर कई प्रकार के वन्यजीव विचरण करते है। वनों के नेस्तनाबूत होने पर वन्यजीवों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है।
मामले से अनभिज्ञ डीएफओ
अतिक्रमण कहां पर किया गया है मुझे इसकी जानकारी नहीं है, मैं जांच करवा कर बेदखली की कार्रवाई करवाता हूं।
पुनीत सोनकर
डीएफओ, प्रभारी छतरपुर
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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