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Thursday, March 27, 2025, 5:02 am

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पटा पड़ा है मध्यप्रदेश में नकली वस्तुओं का बाजार.

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संवाददाता शिव मोहन सिंह

भोपाल: एक सेमिनार में एमपीआईडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर नवनीत मोहन कोठारी की इस स्पष्टवादीता की सराहना करनी होगी जिसमें उन्होंने सरकार की विफलता को स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हुए ब तलाया की स्मगलिंग और नकली उत्पाद के कारण प्रदेश को प्रतिवर्ष ₹5500 की राजस्व हानि उठाना पड़ रही है. मध्य प्रदेश सरकार के इस महत्वपूर्ण उपक्रम के प्रमुख की स्पष्टगौई एक तरफ तो सरकार की उस विफलता को साबित करने के लिए पर्याप्त है जिसके कारण ना केवल प्रदेश शासन को प्रतिवर्ष भारी आर्थिक हानि उठाना पड़ रही है वही आम जनता नकली उत्पादों की मार से हलाकान है भरपूर कीमत चुकाने के बाद भी गुणवत्तापूर्ण उपभोक्ता वस्तुओं का अभाव आम जनता के प्रति उसके उस बे र भाव को प्रदर्शित करता है जिसके कारण आम जनता आज त्राहिमाम कर रही है. एमपीआरडीसी के प्रमुख ने अपनी सरकार की विफलता के उस महत्वपूर्ण बिंदु को इंगित तो किया लेकिन इसकी रोकथाम के लिए उन्होंने सरकार वर्तमान अथवा भविष्य में क्या करने जा रही है इस बाबत कोई जिक्र नहीं किया जो चिंतनीय है. यदि ऐसा माना जाए कि सरकार संसाधन के अभाव में इस विषय में कुछ कर पाने में विफल है तो उसे तत्काल कोई ना कोई वैकल्पिक कदम जनहित में अवश्य उठाना चाहिए उदाहरण के लिए अभी कुछ माह पहले ही फेवीक्विक कंपनी के अधिकारियों ने जबलपुर में स्थानीय पुलिस की मदद से इसी प्रकार के नकली माल को भारी मात्रा में बरामद कर वैधानिक कार्यवाही की संसाधन के अभाव से जूझती सरकार इसी उदाहरण को आई कान मानकर आम जनता को बहुत कुछ राहत तो दे ही सकती है साथ ही प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की निजी राजस्व हानि को भी लाभ में बदल सकती है. सरकार को चाहिए वह एक शुरुआती पहल के रूप में इन कंपनियों को ही बाजार में डंप किए गए नकली उत्पाद की रोकथाम हेतु प्रोत्साहित करे हो सके तो जितना संभव हो उन कंपनियों को सरकार की ओर से इसकी रोकथाम हेतु संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं वही पुलिस प्रशासन के साथ ही संबंधित विभागों को इन कंपनियों को सहयोग करने हेतु कड़े निर्देश जारी किए जाएं वही नकली उत्पादकों के साथ ही इनको बेचने वाले व्यापारियों के विरुद्ध भी कठोर कानूनी कार्यवाही प्रस्तावित करने के बाद ही इस समस्या से निजात मिलने की कुछ संभावना बनती है. यदि सरकार ईमानदारी के साथ वास्तव में जनहित चाहती है तो उसे आम जनता के हित में इस गंभीर समस्या की ओर मुह ना मोड़ते हुए इस समस्या को हल करने के लिए तत्काल कठोर कदम उठाना चाहिए तभी काम करने वाली सरकार सुशासन देने वाली सरकार नामक मुहावरे सार्थक होंगेl

                          -शिव मोहन सिंह- 


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