उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में वन एवं ऊर्जा विभाग की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य की प्राकृतिक संपदाओं का उपयोग केवल संरक्षण तक सीमित न रहकर आर्थिक उन्नति और जनसहभागिता आधारित विकास का माध्यम बने।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान दोहराया कि उत्तराखंड को ‘ऊर्जा और पर्यटन प्रदेश’ के रूप में विकसित करने के लिए नीतिगत साहस, टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन और जमीनी क्रियान्वयन तीनों पर समान रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।

🌿 वन विभाग: संरक्षण से आत्मनिर्भरता की ओर
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वनों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है, लेकिन अब वक्त है कि राज्य की वन संपदा को आय के स्थायी स्रोत में बदला जाए। उन्होंने अधिकारियों से निम्नलिखित बिंदुओं पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा:
- वन विश्रामगृहों का आधुनिकीकरण कर उन्हें पर्यटक अनुकूल बनाया जाए।
- जड़ी-बूटी उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणन के लिए योजनाबद्ध रणनीति तैयार की जाए।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष को न्यूनतम करने हेतु तकनीकी उपायों और अन्य राज्यों की सफलतम पद्धतियों को अपनाया जाए।
- इको-टूरिज्म को संस्थागत रूप दिया जाए जिसमें स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार से जोड़ा जाए।
बैठक में बताया गया कि राज्य के इको टूरिज्म प्रयासों से अब तक 5 करोड़ रुपये से अधिक की स्थानीय आमदनी, 17 करोड़ की जिप्सी संचालन आय और 30 लाख रुपये की स्वयं सहायता समूह आमदनी अर्जित की गई है। एक समर्पित इको टूरिज्म पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है।
⚡ ऊर्जा विभाग: संभावनाओं को हकीकत में बदलने की जरूरत
ऊर्जा विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां लघु जल विद्युत परियोजनाओं (SHPs) के लिए आदर्श हैं। उन्होंने जोर देकर कहा:
- छोटे और मध्यम जल विद्युत प्रोजेक्ट्स की स्वीकृति और क्रियान्वयन में तेजी लाई जाए।
- शहरी क्षेत्रों में बिजली लाइनों की अंडरग्राउंडिंग का कार्य बरसात से पूर्व पूर्ण किया जाए।
- सभी सरकारी भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र शीघ्र स्थापित किए जाएं।
- स्मार्ट मीटर, ऊर्जा वितरण सुधार और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं प्राथमिकता से लागू हों।
2023 की संशोधित जल विद्युत नीति के तहत 160.80 मेगावाट के 8 प्रोजेक्ट तथा 121 मेगावाट के 6 प्रोजेक्ट्स को स्वीकृति दी गई है, जिन पर कुल 1790 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्रस्तावित है।
साथ ही, यूजेवीएनएल तीन पंप स्टोरेज परियोजनाएं (इच्छारी, लखवारव्यासी, व्यासीकटापत्थर) शुरू करने जा रहा है, जिन पर 5660 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
👥 भागीदारी, पारदर्शिता और नवाचार: नीति का मूल मंत्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड आज रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर चुका है और यह समय है जब राज्य को कुछ ऐसे मॉडल प्रोजेक्ट्स देने चाहिए जो दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण बनें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वन एवं ऊर्जा विभाग की बिना उपयोग वाली परिसंपत्तियों की समीक्षा कर उन्हें प्रभावी उपयोग में लाया जाए।
📋 उच्चस्तरीय उपस्थिति और समन्वित दृष्टिकोण
इस अहम समीक्षा बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, मीनाक्षी सुंदरम, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, ऊर्जा निगमों के प्रबंध निदेशकगण और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
🔚 निष्कर्ष
उत्तराखंड अब अपनी प्राकृतिक संपदा को राजस्व और रोज़गार के स्रोत में बदलने की ठोस रणनीति पर अग्रसर है। मुख्यमंत्री धामी की स्पष्ट दृष्टि, समन्वित प्रयास और जनभागीदारी से प्रेरित यह नीति बदलाव निश्चित ही राज्य को हरित और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर अग्रसर करेगी।

Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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