नियमों का उल्लंघन कर फर्जी दस्तावेजों से ली गई थी अनुमति
नौगांव। शहर के कोठी चौराहे के पीछे खसरा नम्बर 572 रकबा 1792 वगर्मीटर लीज की भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य की अनुमति को नगर पालिका ने शिकायत के बाद निरस्त कर दिया है। शिकायत के उपरांत जांच में नपा ने पाया कि निर्माण अनुमति में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया है। हालांकि अनुमति निरस्त होने के बाद निर्माण कार्य को रुकवाने की कार्यवाही नहीं की गई है। भू-माफिया बेखौफ होकर लीज की शर्तों का उल्लंघन करते हुए दिन रात अवैध निर्माण करने में जुटे हैं।
*क्या है मामला*
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शहर के सबसे व्यस्ततम कोठी चौराहा के पास बीरा बाबू कंपाउंड के नाम से खसरा नम्बर 572 रकवा 1792 वगर्मीटर में लीज की खाली पड़ी भूमि एवं कच्चे खपरैल मकानों को तोड़कर मार्केट निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसके लिए भू-माफियाओं ने लीज की शर्तों का उल्लंघन करते हुए फर्जी दस्तावेज लगाकर नगर पालिका से निर्माण अनुमति ली है। इस आशय की शिकायत 75 वर्षीय वृद्ध विधवा मिथलादेवी सहित कुछ अन्य लोगों ने नगर पालिका में दर्ज कराई और जांच हुई तब फर्जी दस्तावेज लगाने, लीज की शर्तों का उल्लंघन करने और दो शासकीय आम रास्तों पर अवैध कब्जा कर निर्माण करने की बात सामने आई। इसके बाद निर्माण अनुमति को अवैध मानते हुए निरस्त कर दिया गया। नगर पालिका द्वारा अनुमति निरस्त करने के बाद करीब एक माह से अधिक का समय गुजर गया है लेकिन अभी तक निर्माण कार्य को बंद कराने की कार्यवाही नहीं हुई है।
*लीज नवीनीकरण में भी हुआ नियमों का उल्लंघन*
कोठी चौराहा स्थित नजूल के ब्लॉक नम्बर 1 शीट नम्बर 35द एवं प्लॉट क्रमांक 28 क्षेत्रफल 1792 वर्गमीटर की लीज़ अवैधानिक रूप से वीरेन्द्रबाबू बोस के नाम हुई थी। 21 मई 2006 को वीरेंद्र बोस के निधन के काफी समय बाद तक वीरेंद्र बोस के परिजनों ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया, इसलिए लीज स्वत: समाप्त हो गई। इसके कई वर्ष बाद परिजनों ने भूमि पर मालिकाना हक घोषित कराने सिविल कोर्ट में मामला दायर कर दिया जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद एडीजे कोर्ट में मामला पंजीबद्ध कराया गया लेकिन दोनों कोर्ट से मामला हार जाने के बाद एक बार फिर से लीज नवीनीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया और शासन ने वीरेंद्रबोस के ऐसे परिजनों के नाम लीज का नवीनीकरण कर दिया जो कि नौगांव शहर और प्रदेश के बाहर निवास करते हैं। जिन व्यक्तियों के पक्ष में नवीनीकरण किया गया वे जबलपुर, रायपुर और लखनऊ में निवास करते हैं। साथ ही जिस समय लीज स्वीकृत हुई, उस समय कमलापत सेन, रामकुमार दीक्षित सहित कई व्यक्तियों का यहां कब्जा था, परन्तु लेनदेन कर सभी कब्जाधारियों की लीज न बनाकर एक मात्र वीरेन्द्र बोस के परिजनों नाम से लीज जारी कर दी गई।
*हाईकोर्ट के आदेश की उड़ाई जा रही है धज्जियां*
लीजधारी वीरेंद्र बोस ने किरायेदार रामकुमार दीक्षित को बेदखल करने को लेकर व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 नौगांव में प्रकरण क्रमांक – 1-ए / 85 आदेश दिनांक 13/07/1987 को, प्रथम अतिरिक्त जिला जज छतरपुर में प्रथम सिविल अपील क्रमांक 39-अ/1995 आदेश दिनांक 18/01/96, उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा द्वितीय अपील क्रमांक 242 दिनांक 10/05/2002 को फैसला सुनाते हुए रामकुमार दीक्षित के पक्ष में निर्णय कर दिया और वीरेन्द्रबोस मुकदमा हार गए। लीज नवीनीकरण के दौरान इन तथ्यों को छिपाकर लीज का नवीनीकरण किया गया है, जिसकी शिकायत वतर्मान में अनुविभागीय अधिकारी नौगांव के समक्ष लंबित है। इस लीज की भूमि खसरा नम्बर 572 के हिस्से को रामकुमार दीक्षित किराए पर लेकर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे थे। लीजधारकों ने रामकुमार दीक्षित को जमीन से बेदखल करने एवं जमीन को मुक्त कराने को लेकर सिविल न्यायालय से लेकर डीजे एवं हाईकोर्ट तक की शरण में पहुंचे लेकिन सिविल न्यायालय, डीजे एवं हाईकोर्ट न्यायलय ने रामकुमार दीक्षित के पक्ष में काबिज रहने का फैसला सुनाया। इसके बाद लीजधारक पक्ष मामले के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट में कहीं कोई अपील नहीं की गई। रामकुमार दीक्षित के निधन के बाद उनकी 75 वर्षीय विधवा पत्नी मिथिला देवी एवं उनके पुत्र उदय दीक्षित इसी भूमि के हिस्से पर रहकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं। भूमि खसरा नम्बर 572 में चल रहे अवैध मार्केट निर्माण के दौरान भू माफियाओं के द्वारा 75 वर्षीय विधवा मिथिला देवी के पक्ष में दिए गए कोर्ट के फैसले को न मानते हुए जेसीबी मशीन से इनके कच्चे जीणर्शीर्ण घर को ध्वस्त करने की फिराक में हैं। इसे बचाने के लिए स्व. रामकुमार दीक्षित की पत्नी मिथिला देवी और उनका पुत्र उदय दीक्षित नौगांव थाना से लेकर एसडीओपी कार्यालय, एसडीएम कार्यालय, तहसीलदार, नगर पालिका के चक्कर लगाने को मजबूर है।
