संयुक्त पंजीयक सागर ने लिखित शिकायत के बाद बनाई जांच कमेटी, एक माह में भी नहीं हो पाई जांच
निर्वाचन अधिकारी छत्री ने अपात्र सदस्यों को पात्र कर कराए थे बैंक के चुनाव संपन्न, लाखों के लेनदेन के लग रहे आरोप
छतरपुर । छतरपुर में सितम्बर 2021 से संचालित संचालक मंडल द्वारा नागरिक सहकारी बैंक में भारी भ्रष्टाचार किया गया है। जिसकी लिखित शिकायतें भी संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं सागर से की गई हैं, जिसकी जांच 15 दिवस में पूर्ण करने के आदेश कर कमेटी बनाई गई, लेकिन 1 माह बीतने के बाद भी जांच ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। जांच कमेटी छतरपुर के द्वारा अगर पूछा जाए जांच के संबंध में तो गोलमोल जवाब देकर टाल देते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के विपरीत चल रहा सदभाव नागरिक बैंक
सूत्रों ने बताया कि सदभाव नागरिक सहकारी बैंक के संचालन मंडल छतरपुर के 12 सदस्य में से 7 सदस्यों को आरबीआई द्वारा आपात्र घोषित किए जाने के बाद भी बैंक का नियमों के विपरीत संचालन किया जा रहा है। आधा दर्जन से अधिक सदस्य आपात्र एवम निष्क्रिय होने के कारण बोर्ड को भंग किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यहां तक की संचालक मंडल ने अपने कार्यकाल में भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लघन करके बैंक को बंद होने के कगार पर ला दिया है। संचालक मंडल में अध्यक्ष सहित कुल 12 सदस्य हैं। जिसमें से 7 अपात्र और 3 डिफाल्टर सदस्य हैं उसके बावजूद भी बैंक का संचालन किया जा रहा है।
बैंक में सदस्यों की पात्रता की शर्तें –
सदभाव नागरिक सहकारी मर्यादित बैंक के जो सदस्य बनाए जाते हैं, उनकी पात्रता की कुछ विशेष शर्तें हैं। जिसमे बैंक सदस्य के लिए 2 साल पुराना खाता हो, खाते में 500 सौ रुपए खाते में जमा हों, सदस्य की 2 साल पुरानी सदस्यता हो, सदस्य बैंक का ऋणी हो, लेकिन डिफाल्टर नहीं हो इत्यादि। इसके अलावा बैंक की बहुत सारी महत्वपूर्ण शर्तें होती हैें। सूत्रों से यहां तक पता चला है कि जो सदस्य संचालक मंडल में है, उनके ज्यादातर सदस्यों के सदभाव नागरिक बैंक में खाते तक नहीं हैं, फिर भी संचालक मंडल में शामिल हैं और संचालक मंडल चल रहा है।
निर्वाचन अधिकारी श्याम छत्री ने अपात्र सदस्यों को पात्र कर कराए थे बैंक के चुनाव संपन्न, लाखों के लेनदेन के लग रहे आरोप –
चुनाव निर्वाचन अधिकारी श्याम छत्री ने वर्ष 2021 में सदभाव नागरिक सहकारी मर्यादित बैंक छतरपुर में चुनाव संपन्न कराए थे, जिसमे अध्यक्ष सहित कुल 12 सदस्य थे। जिसमे सुविधा शुल्क के चलते अपात्र सदस्यों को पात्र कर कराए गए थे बैंक के चुनाव संपन्न। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में 12 सदस्यों में से 7 सदस्यों को अपात्र घोषित किया था, फिर भी संयुक्त पंजीयक सागर को भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट पर नहीं है भरोसा और पुनः 15 दिवस में जांच करने के दिए थे आदेश, 1 माह बीतने के बाद भी नहीं हो पाई जांच कंप्लीट।
आश्चर्य जनक बात तो यह है कि जब आरबीआई ने 7 सदस्यों को अपात्र घोषित कर दिया, तो उसके बाद भी जांच कमेटी जांच नहीं कर पाई। जांच दल में श्याम छत्री जो वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक हैं। उन्हें भी शामिल किया गया है और इनके द्वारा ही वर्ष 2021 में चुनाव अधिकारी रहकर संचालक मंडल व अध्यक्ष के चुनाव संपन्न कराए गए थे। श्याम छत्री ने चुनाव अधिकारी रहते हुए सदस्यों के हस्ताक्षरों का सत्यापन नहीं किया। सदस्य फार्म घर से भर कर लाए, उन्हीं फार्मों में पूर्व से किए गए हस्ताक्षरों को वेरीफाइ कर दिया। अपने सामने किसी भी प्रत्याशी के हस्ताक्षर नहीं कराए। निर्वाचन अधिकारी श्याम छत्री ने अपने सामने हस्ताक्षर न कराकर गलत ढंग से हस्ताक्षरों का प्रमाणीकरण कर दिया। सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन अधिकारी ने अपने सामने प्रत्याशी के फार्म तक नहीं भरवाए। जो प्रत्याशी जैसा फार्म भरकर और हस्ताक्षर करके लाये, उन्ही हस्ताक्षर को प्रमाणित कर दिए गए। इसमें भी लाखों रुपए के सुविधा शुल्क लेने के आरोप लग रहे हैं। श्याम छत्री पर तमाम आरोप लगने के बाद भी एनएस चौहान सहायक आयुक्त छतरपुर ने उन्हें जांच कमेटी में अपने साथ रख लिया। ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे हो सकती है, यह भी एक बड़ा प्रश्न है।
