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Saturday, July 19, 2025, 1:23 am

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हरिद्वार से पुनर्जागरण की पुकार

हरिद्वार
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अहिल्याबाई की विरासत और उत्तराखंड की वाणी: 

हरिद्वार की पावन धरती पर जब मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती पर मंच साझा किया, तो यह एक भाषण मात्र नहीं था — यह इतिहास, संस्कृति और वर्तमान का एक संगम था।

धनगर समाज द्वारा आयोजित यह समारोह केवल एक स्मृति कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोकमाता की विरासत को जीवित रखने की प्रतिज्ञा था। उस महान महिला का स्मरण, जिन्होंने ना केवल एक राज्य चलाया, बल्कि पूरे भारत की आध्यात्मिक आत्मा को सहेजने का काम किया


🌿 गांव का नाम, इतिहास की पहचान

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने जब ग्राम सभा सलेमपुर का नाम लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के नाम पर करने की घोषणा की, तो यह केवल एक नाम बदलने की घोषणा नहीं थी। यह एक युग को स्मरण करने और उस आदर्श को स्थायी पहचान देने का निर्णय था। यह उत्तराखंड की धरती पर एक नई ऐतिहासिक चेतना का बीज था।


👑 अहिल्याबाई: समर्पण की संकल्पना

मुख्यमंत्री ने लोकमाता को नमन करते हुए कहा कि वे एक ऐसी विभूति थीं, जिन्होंने उस समय राजनीति में नहीं, सेवा में राजधर्म देखा। जब देश की अस्मिता विदेशी आक्रांताओं से जूझ रही थी, तब अहिल्याबाई ने काशी से लेकर रामेश्वरम तक हजारों मंदिरों का पुनर्निर्माण कर एक अद्भुत धार्मिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण किया।

उन्होंने बद्रीनाथ, केदारनाथ और हरिद्वार जैसे उत्तराखंड के स्थलों को भी अपनाया — यह दिखाता है कि उनकी दृष्टि राज्य नहीं, राष्ट्र थी


🚺 नारीशक्ति के प्रतीक

मुख्यमंत्री ने लोकमाता को “नारी सशक्तिकरण का आदर्श” बताते हुए उन्हें उस कालखंड की अनसुनी क्रांति कहा, जहां एक स्त्री सत्ता, सेवा और संस्कृति — तीनों में सर्वोच्च बन गईं।

आज जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में नारी गरिमा को संवैधानिक अधिकार मिल रहे हैं — जैसे 33% आरक्षण, उज्ज्वला योजना, लखपति दीदी आदि — तो वह कार्य आधुनिक अहिल्याओं को सशक्त करने जैसा ही है।


🇮🇳 संस्कृति का अमृतकाल

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अब भारत अपने सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। वह इतिहास, जिसे जानबूझकर भुलाया गया — आज नई पीढ़ी के लिए गौरव का स्त्रोत बन रहा है।

राम मंदिर से लेकर केदारनाथ पुनर्निर्माण, महाकाल लोक से लेकर विश्वनाथ कॉरिडोर तक — देश अपनी जड़ों से जुड़ रहा है।


🛡️ आंतरिक सुरक्षा और आत्मविश्वास

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने देश की सुरक्षा पर भी बात की। एक समय था जब भारत का कोई शहर आतंकवाद से अछूता नहीं था। लेकिन अब उरी, पुलवामा और पहलगाम जैसे कांडों का जवाब देश ने सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर से दिया है। भारत अब प्रतिक्रिया नहीं, कार्रवाई करता है।


🏞️ उत्तराखंड में आस्था और विकास का समागम

मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड सरकार धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण — जैसे केदारखंड, मानसखंड, हरिपुर कालसी, शारदा कॉरिडोर — में पूरी निष्ठा से कार्य कर रही है। ये कार्य धार्मिक पर्यटन, रोजगार, और संस्कृति-संरक्षण के ट्रिपल इंजन की तरह कार्य कर रहे हैं।


🌸 मातृशक्ति: आत्मनिर्भरता की ध्वजवाहक

‘मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना’, ‘महालक्ष्मी योजना’, ‘वात्सल्य योजना’ — केवल योजनाएं नहीं, ये वह मूल्य आधारित सामाजिक बदलाव हैं जो उत्तराखंड की बेटियों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, “आज की महिलाएं न केवल नौकरी पा रही हैं, बल्कि स्वयं सहायता समूह, स्टार्टअप्स और उद्यमिता के माध्यम से ‘गृहलक्ष्मी से राष्ट्रलक्ष्मी’ बन रही हैं।”


⚖️ घृणित मानसिकताओं पर कठोर प्रहार

धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ के हर प्रयास को उत्तराखंड में सख्ती से कुचला गया है — लैंड जिहाद, लव जिहाद, धर्मांतरण जैसे विषयों पर कठोर कानून और प्रभावी कार्रवाई, राज्य की सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय सुरक्षा का संकेत हैं।


🚨 भ्रष्टाचार पर प्रहार: छोटी नहीं, बड़ी मछलियां भी पकड़ी गईं

धामी जी ने भ्रष्टाचार पर दो टूक कहा — अब सिर्फ क्लर्क या बाबू नहीं, IAS और PCS अधिकारी भी निलंबित हो रहे हैं। हरिद्वार भूमि घोटाले में कार्रवाई इसका उदाहरण है।

यह वही उत्तराखंड है जहां भ्रष्टाचार के मामलों में पहले सिर्फ खानापूरी होती थी — आज “ज़ीरो टॉलरेंस” नीति ज़मीन पर दिख रही है।


🔚 समापन: जहाँ इतिहास प्रेरणा बन जाए

हरिद्वार में लोकमाता अहिल्याबाई की 300वीं जयंती सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, एक संकल्प थी — कि जो विरासत हमें मिली है, हम उसे केवल संजोएंगे नहीं, उससे मार्गदर्शन लेंगे

मुख्यमंत्री का संदेश स्पष्ट था — जब तक हम अपने अतीत से ऊर्जा नहीं लेंगे, तब तक भविष्य का निर्माण अधूरा रहेगा।


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