एनसीआरटी की किताबों की जगह धड़ल्ले से बिक रहीं निजी किताबें
ईशानगर। जुलाई का महीना विद्यालयों के लिए किसी सीजन से कम नहीं है। इस शिक्षा के सीजन माह में निजी स्कूल संचालकों की मनमानी के चलते अभिभावक जानबूझकर मजबूरी में लुटने को मजबूर हैं। निजी स्कूल संचालकों की मनमानी के चलते स्कूलों में एनसीआरटी की किताबों की जगह निजी पब्लिशर की किताबें महंगे दामों में बेचकर मोटा मुनाफा कमाकर अभिभावकों को लूट रहे हैं। इस संबंध में अभी तक प्रशासन एवं शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने ईशानगर में एक भी कार्यवाही नहीं की है।
इस कारण से अभिभावकों को मजबूरी में निजी पब्लिशर की किताबें महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही है जबकि नियमानुसार उन्हें एनसीईआरटी की किताबों को शामिल करना था लेकिन निजी स्कूल संचालक नर्सरी से लेकर 10वीं तक छात्रों को केवल निजी स्कूल प्रशासकों की किताबों से पढ़ा रहे हैं। एक छात्रा के पिता गणेश शुक्ला ईशानगर ने सभी निजी स्कूलों में एनसीईआरटी का कोर्स न चलाने की लिखित शिकायत जिला परियोजना समन्यवक अधिकारी से की है।
कमीशन के खेल में जुटे किताब निर्माता, स्कूल संचालक
प्रत्येक निजी स्कूल संचालक का स्टेशनरी दुकान संचालक व निजी पब्लिशर से कमीशन सेट रहता है। कमीशन भी 20 से 30 फ़ीसदी तक रहता है। खास बात तो यह है कि निजी पब्लिशर की किताबें एनसीआरटी कोर्स की किताबों से 4 से 5 गुना तक महंगी होती हैं ऐसे में स्कूल संचालकों व दुकानदारों को मोटा मुनाफा होता है। दुकानदार व निजी स्कूलों में किताबों पर प्रिंट रेट के आधार पर किताबें बेचते हैं।
दुकानदारों का आरोप
वहीं ईशानगर के दुकानदारों का कहना है कि निजी स्कूल संचालकों द्वारा अपनी निजी पब्लिशर की किताबें व ड्रेस स्कूलों में बच्चों को दे रहे हैं अगर हम एनसीईआरटी की किताबें लाते हैं तो उनको खरीदने वाला कोई भी नहीं है। अगर निजी स्कूल संचालक एनसीईआरटी की किताबें निजी स्कूलों में चलाते हैं तो हम दुकानदारों को किताबें दुकान में रखने में किसी प्रकार कोई दिक्कत नही है।
इनका कहना है
कलेक्टर साहब का आदेश है कि निजी स्कूल संचालक आदेश का पालन करें। अगर एनसीईआरटी कोर्स स्कूल संचालक नही चला रहे तो हमारे पास लिखित शिकायत आने पर निजी स्कूल संचालकों पर कार्यवाही की जायेगी।
केके अग्निहोत्री, बीआरसी छतरपुर
