रिवर्स पलायन से लौटे सपने, अब मिलेगा मंच — महिलाएं बनेंगी बदलाव की धुरी: सीएम पुष्कर सिंह धामी
देहरादून, 20 मई:
उत्तराखंड में एक नई सुबह की शुरुआत हो रही है — जहाँ गांवों से शहर की ओर नहीं, बल्कि शहरों से फिर गांवों की ओर लोग लौट रहे हैं, अपने सपनों के साथ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में पलायन निवारण आयोग की समीक्षा बैठक में यह स्पष्ट संकेत दिया कि रिवर्स पलायन करने वालों को एक सशक्त मंच मिलेगा, ताकि उनके अनुभव राज्य के अन्य युवाओं के लिए मार्गदर्शक बन सकें।
“जिन्होंने लौटकर गांव में स्वरोजगार शुरू किया है, उनके अनुभवों को नीति निर्माण में जगह दी जाएगी। ये केवल कहानियां नहीं, बल्कि आने वाले उत्तराखंड की नींव हैं।”
— मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री ने महिलाओं की भागीदारी को राज्य की शक्ति बताया और कहा कि नारीशक्ति के जुनून और हुनर से उत्तराखंड न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि श्रेष्ठ राज्यों में शामिल होगा। उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों को ब्रांडिंग, मार्केटिंग और पेशेवर प्रशिक्षण से जोड़ने पर बल दिया।
👉 प्रमुख घोषणाएं और निर्देश:
- रिवर्स पलायन करने वालों के अनुभव साझा करने के लिए डिजिटल और भौतिक प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा।
- उनके सुझावों को योजनाओं में समावेश कर योजनाएं ज़मीनी हकीकत से जोड़ी जाएंगी।
- कौशल विकास, शिक्षा, पर्यटन, नियोजन जैसे विभागों की योजनाओं को आयोग के साथ जोड़ा जाएगा।
- स्थानीय संसाधनों के आधार पर स्थायी आजीविका और स्वरोजगार को प्रोत्साहित किया जाएगा।
2,000 से अधिक लोग लौटे गांव, कृषि, पर्यटन, होमस्टे, पशुपालन जैसे क्षेत्रों में कर रहे हैं कार्य और लाभ में हैं। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी के अनुसार, यह संख्या तेजी से बढ़ रही है।
इस ऐतिहासिक पहल के केंद्र में है — एक नया उत्तराखंड, जहाँ हिमालय की गोद में लौटते लोग, सशक्त होती महिलाएं, और स्थानीय प्रतिभाओं को मिलती पहचान मिलकर रच रहे हैं विकास का नया अध्याय।
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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