जल ही जीवन है, यह कहावत आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सदियों पहले थी। विशेष रूप से कृषि पर निर्भर ग्रामीण इलाकों में पानी की उपलब्धता ही किसानों की खुशहाली और खेती की सफलता की बुनियाद होती है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत बरदर में मनरेगा के तहत बनाए गए पक्के चेक डेम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जल संरक्षण और उचित प्रबंधन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जा सकता है।
बरसात के बाद सूखने वाले मोरघनिया नाले में बनाए गए इस चेक डेम ने न केवल जल संचय को संभव बनाया है, बल्कि आसपास के जलस्तर को भी स्थायी रूप से बेहतर किया है। इससे 20 किसानों के 17 एकड़ से अधिक खेतों को सिंचाई सुविधा मिली है, जिससे वे अपनी फसलों की पैदावार बढ़ा कर दो-तीन फसलें तक उगा पाने में सक्षम हुए हैं। यह बदलाव न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक रूप से भी ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार ला रहा है।

यह पहल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगार के साथ-साथ जल संरक्षण की दिशा में भी एक सफल कदम है। स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान करने के साथ ही, इस परियोजना ने किसानों की चिंता को कम कर उनकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है।
हम सभी के लिए यह एक सीख है कि संसाधनों का संरक्षण और सही उपयोग कैसे बड़े सामाजिक और आर्थिक बदलाव ला सकता है। सरकार की ऐसी योजनाएं, जो ग्रामीण विकास के लिए ठोस आधार तैयार करती हैं, उन्हें और मजबूत किया जाना चाहिए। क्योंकि जब किसान खुशहाल होंगे, तभी देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
अतः यह जरूरी है कि हम जल संरक्षण को प्राथमिकता दें, और हर क्षेत्र में ऐसे प्रयासों को बढ़ावा दें ताकि हर किसान के चेहरे पर मुस्कान बनी रहे।

Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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