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Sunday, December 22, 2024, 8:30 pm

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आरबीआई ने सद्भावना नागरिक बैंक के संचालक मंडल के 7 सदस्यों को घोषित किया था आपात्र 

अपात्र अध्यक्ष पुत्र के द्वारा बैंक के गोपनीय रिकॉर्ड के साथ की गई हेरा फेरी, 3 सदस्यीय जांच कमेटी नियुक्त चिटफंड का मास्टर माइंड प्रोफेशनल डायरेक्टर विनीत बाजपेई ने बैंक को लगाई लाखों की चपत
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संयुक्त पंजीयक सागर ने बनाई जांच कमेटी, डेढ़ माह में भी नहीं हुई जांच 

छतरपुर। जिला मुख्यालय छतरपुर में वर्ष 2021 से संचालित अपात्र संचालक मंडल सद्भावना नागरिक सहकारी बैंक में भारी भ्रष्टाचार किया गया है। जिसकी शिकायतें भी संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं सागर से की गई हैं। जिसकी जांच के आदेश भी किए गए और कमेटी भी बनाई गई लेकिन जांच ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। भाजपा जिला अध्यक्ष मलखान सिंह से दूरभाष पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि बैंक में अपात्र संचालक मंडल को लेकर बीते माह संयुक्त पंजीयक सागर के नाम चिट्ठी लिखी थी कि बैंक की जांच निष्पक्ष की जाए, बैंक में लोगों की जिंदगी भर का पूंजी जमा करके रखा है। बैंक में लोगों की पूंजी सुरक्षित रहे, बैंक से लोगों को एक बड़ी उम्मीद रहती है। इसकी जांच सही और निष्पक्ष जल्दी की जाए। हम सहकारिता मंत्री को भी पत्राचार करेंगे। सुनने में मिला है की जांच कमेटी ने कुछ लेनदेन कर जांच में हीला बहाने किए जा रहे है। जांच कमेटी की भी उच्च स्तरीय जांच के लिए पत्राचार करेंगे।

नियमों के विपरीत चल रहा बैंक :

सद्भावना नागरिक सहकारी बैंक के संचालन मंडल के सात सदस्यों को आरबीआई द्वारा आपात्र घोषित किए जाने के बाद भी बैंक का नियमों के विपरीत संचालन किया जा रहा है। आधा दर्जन से अधिक सदस्य आपात्र होने के कारण बोर्ड को भंग किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यहां तक की संचालक मंडल ने अपने कार्यकाल में भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लघन करके बैंक को बंद होने के कगार पर ला दिया है। संचालक मंडल में अध्यक्ष सहित कुल 12 सदस्य हैं। जिसमें से 7 अपात्र और 3 डिफाल्टर सदस्य हैं उसके बावजूद भी बैंक का संचालन किया जा रहा है।

क्या है सदस्यों की पात्रता की शर्तें :

सद्भावना नागरिक सहकारी बैंक के जो सदस्य बनाए जाते हैं उनकी पात्रता की कुछ शर्तें हैं। इन शर्तों में सदस्य का बैंक में दो साल पुराना खाता होना चाहिए और खाते में पांच सौ रुपए खाते में जमा हों। सदस्य की दो पुरानी सदस्यता होनी चाहिए और वे बैंक का ऋणी हो लेकिन डिफाल्टर नहीं होना चाहिए। इसके अलावा और भी कई शर्तें हैें। यहां तक पता चला है कि जो सदस्य अपात्र हैं उनके सद्भाव नागरिक बैंक में खाते तक नहीं हैं फिर भी वह संचालक मंडल में शामिल हैं।

अध्यक्ष के हैं कई प्रकार के हस्ताक्षर :

बैंक जैसी संस्था में हस्ताक्षर एक ही प्रकार के होना चाहिए लेकिन संचालक मंडल जो अध्यक्ष हैं उसके द्वारा कई प्रकार के हस्ताक्षर किए गए हैं। कहीं अंग्रेजी तो कहीं हिन्दी में हस्ताक्षर देखे जा रहे हैं। इन हस्ताक्षरों ने और भी संदेहों को जन्म दे दिया है। बैंक में हजारों लोगों के खाते हैं और उनके लोन स्वीकृत किए जाते हैं तथा राशि भी डिपाजिट की जाती है एफडी बनाई जाती है । ऐसे में अध्यक्ष के अलग- अलग हस्ताक्षर होने से बैंक कहा तक सुरक्षित रहेगा।

तीन सदस्यों की बनाई गई जांच कमेटी :

इस पूरे भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए शिकायत के आधार पर जेआर सागर ने 30 मई को तीन सदस्यों की जांच कमेठी गठित की और निर्देश दिए कि यह जांच कमेटी संचालक मंडल के पात्र अपात्र सदस्यों की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करे। इस जांच कमेटी में तीन सदस्यों को रखा गया। जिसमें एनएस चौहान सहायक आयुक्त सहकारिता छतरपुर, जीतेंद्र यादव सहकारिता निरीक्षक छतरपुर, श्याम क्षत्री सहकारिता निरीक्षक छतरपुर शामिल किए गए। इस जांच कमेटी ने भी लापरवाही वर्ती क्योंकि एक माह पूरा होने को है और अभी तक जांच पूरी कर प्रतिवेदन जेआर सागर को नहीं सौंपा है। आश्चर्य जनक बात तो यह है कि जब आरबीआई ने सात सदस्यों को अपात्र घोषित कर दिया तो उसके बाद भी जांच कमेटी जांच नहीं कर पाई। जांच दल में श्याम क्षत्री जो वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक हैं उन्हें भी शामिल किया गया है और इनके द्वारा ही वर्ष 2021 में चुनाव अधिकारी रहकर संचालक मंडल व अध्यक्ष के चुनाव कराए गए थे। श्याम क्षत्री ने चुनाव अधिकारी रहते हुए सदस्यों के हस्ताक्षरों का सत्यापन नहीं किया। सदस्य जो फार्म घर से भरकर लाए उन्हीं फार्मों में पूर्व से किए गए हस्ताक्षरों को वेरीफाइ कर दिया अपने सामने किसी भी प्रत्याशी के हस्ताक्षर नहीं कराए। निर्वाचन अधिकारी श्याम क्षत्री ने अपने सामने हस्ताक्षर न कराकर गलत ढंग से हस्ताक्षरों का प्रमाणीकरण कर दिया। यहां तक की निर्वाचन अधिकारी ने अपने सामने प्रत्याशी के फार्म तक नहीं भरवाए। जो प्रत्याशी जैसा फार्म करके लाया उसके हस्ताक्षर प्रमाणित कर दिए गए। इसमें भी लाखों रुपए के सुविधा शुल्क लेने के आरोप लग रहे हैं। श्याम क्षत्री पर तमाम आरोप लगने के बाद भी एनएस चौहान सहायक आयुक्त छतरपुर ने उन्हें जांच कमेटी में रख दिया ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे हो सकती है यह भी एक बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है।

कैसे बरकार रहेगी बैंक की गोपनीयता :

सरकारी बैंक हो या अर्ध सरकारी बैंक सभी में गोपनीयता बरकरार रखी जाती है। क्योंकि बैंकों में हजारों लोगों के खाते होते हैं और उनके लाखों करोड़ों की राशि जमा होती है। लेकिन वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक श्याम क्षत्री द्वारा बैंक की गोपनीयता को बरकरार नहीं रखा गया। चुनाव के दौरान उन्होंने यदि अपने सामने सदस्यों के फार्मों में हस्ताक्षर कराए होते और विधिवत जांच पड़ताल करके चुनाव कराए होते तो आज सदस्यों के अपात्र होने की स्थिति नहीं बनती और न ही बैंक बंद होने के कगार पर पहुंचता। इस बैंक में पूर्व में भी तमाम भ्रष्टाचार हुए जिसमें छात्र वृत्ति घोटाला छाया रहा और छात्रवृत्ति घोटाले में भले ही अधिकारियों को अभय वरदान मिल गया हो लेकिन निचले तबके के कर्मचारी बलि का बकरा बन गए थे। छात्रवृत्ति घोटाले के बाद कुछ समय तक खाते धारकों में खलबली मच गई थी और आनन – फानन में खाते धारकों ने अपनी जमा राशि भी निकालना शुरू कर दी थी। नोट बंदी के दौरान भी सद्भावना नागरिक बैंक में पुराने नोट जमा करने और बदलने में भी भारी गड़बड़ घोटाला किया गया था।

संचालक मंडल अपात्र होने के बाद भी हुईं नियुक्तियां :

सद्भावना नागरिक सहकारी बैंक छतरपुर के संचालक मंडल को आरबीआई द्वारा अपात्र घोषित किया गया लेकिन उसके बावजूद भी संचालक मंडल द्वारा तमाम नियुक्तियां कर दी गईं। यह नियुक्तियां संयुक्त पंजीयक की बिना अनुशंसा और बैंक के सारे नियमों को दरकिनार करके की गई हैं। जिन कर्मचारियों की फर्जी नियुक्तियां की गई उन्हें डेढ़ साल तक लगातार वेतन दिया गया इससे बैंक पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ गया और बैंक की आर्थिक स्थिति भी डगमगा गई। इन सभी अनियमितताओं की जांच के लिए शासन को एक उच्च स्तरीय जांच दल गठित करना चाहिए ताकि वर्ष 2021 से अब तक किए गए भ्रष्टाचार की पर्त – दर पर्त खुल सके और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों से लेकर संचालक मंडल के

अपात्र सदस्यों के चेहरे भी बेनाकाब हो सकें।

 

इनका कहना है –

आप के माध्यम से जानकारी लगी है, शिकायत मुझे मैसेज करिए, मैं संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात कर कार्यवाही के लिए बोलता हूं।

वीरेंद्र सिंह रावत

कमिश्नर, सागर

कुछ माह पहले हमने एक चिट्ठी संयुक्त पंजीयक सागर के नाम लिखी थी। कि बैंक के अपात्र संचालक मंडल की निष्पक्ष जांच और जल्दी की जाए। सहकारिता मंत्री को हम पुनः पत्राचार करेंगे, और बताएंगे की संयुक्त पंजीयक सागर द्वारा जांच समय सही नहीं कराई जा रही है।

मलखान सिंह

जिला अध्यक्ष, भाजपा छतरपुर


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