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Saturday, December 13, 2025, 2:21 pm

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क्या थरूर उड़ान भरने को तैयार हैं — या सिर्फ पंख फड़फड़ा रहे हैं?

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शशि थरूर एक बार फिर सुर्खियों में हैं — लेकिन इस बार उनकी बातों से ज़्यादा उनकी चुप्पी चर्चा में है।

एक दक्षिण भारतीय अखबार में प्रधानमंत्री मोदी की ऊर्जा, वैश्विक छवि और निर्णायक नेतृत्व की तारीफ़ करना एक साधारण लेख नहीं था। यह उस समय आया जब कांग्रेस ने केरल की नीलांबूर उपचुनाव में सीपीआई(एम) को हराकर उत्साह से भरी वापसी की — एक ऐसा मौका, जहां थरूर की अनुपस्थिति भी उतनी ही स्पष्ट थी जितनी उनकी उपस्थिति हो सकती थी।

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🎭 अंदर से बगावती, बाहर से वफादार?

थरूर ने सांसद के रूप में फिर से जीत दर्ज की — लेकिन उन्होंने साफ़ कर दिया कि यह उनका आख़िरी लोकसभा चुनाव था। ज़ाहिर है, उनकी निगाहें 2026 के केरल विधानसभा चुनावों और मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर थीं। लेकिन अब पार्टी के भीतर उनकी बढ़ती आलोचना और ‘मोदी-मोह’ पर उंगलियाँ उठने के बाद, वह राह भी धुंधली लग रही है।

मोदी की विदेश नीति की तारीफ, ऑपरेशन सिंदूर को ‘साहसी’ कहना, और पाकिस्तान के भीतर स्ट्राइक को सराहना — कांग्रेस के लिए यह सब कुछ एक लाल झंडी जैसा था। पार्टी नेताओं ने उन्हें ‘बीजेपी का सुपर प्रवक्ता’ तक कह डाला।

🔁 क्या यह विचारधारा की अदला-बदली का ट्रेलर है?

थरूर ने सफाई दी कि वे बीजेपी में नहीं जा रहे हैं, लेकिन यह भी साफ है कि वे अब कांग्रेस की ‘अनकही लाइन’ से बाहर सोचते हैं।

• पहले G-23 में रहे,

• फिर गांधी परिवार के खिलाफ़ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा,

• और अब पार्टी के ‘मोदी विरोध’ के नैरेटिव को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं।

यह सब क्या इत्तेफाक है, या सोची-समझी रणनीति?

🪞 कांग्रेस का संकट: थरूर जैसे लोगों के लिए जगह है या नहीं?

कांग्रेस पार्टी वैचारिक संकट के दौर में है। जो नेता सोचते हैं, बोलते हैं और कभी-कभी पार्टी लाइन से हटते हैं — उनके लिए पार्टी में क्या जगह है?

थरूर जैसे नेता आधुनिक, शिक्षित, अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण वाले हैं — लेकिन कांग्रेस में अब भी पुरानी वफादारी और खानदानी केंद्रीयता का बोलबाला है।

💬 थरूर का ट्वीट: उड़ान की अनुमति मत मांगो

“Don’t ask permission to fly. The wings are yours. And the sky belongs to no one.”

क्या यह सिर्फ शायरी है, या राजनीतिक संदेश?

क्या थरूर अब अपने राजनीतिक पंख फैलाने को तैयार हैं, या यह सिर्फ एक चेतावनी है कांग्रेस को — कि उसे बदलना होगा, नहीं तो उसके नेता खुद बदल जाएंगे?

📌 निष्कर्ष: थरूर का अगला कदम क्या है — उड़ान, विद्रोह या आत्म-नियंत्रण?

शशि थरूर न बीजेपी में सहज बैठ सकते हैं, न कांग्रेस उन्हें पूरी तरह आत्मसात कर पा रही है।

उनके पास बुद्धि है, वैश्विक अनुभव है, और एक अलग ब्रांड भी — लेकिन विचारधारा का कोई स्पष्ट मंच नहीं।

अभी वे कगार पर हैं।

सवाल यह नहीं कि थरूर बीजेपी में जाएंगे या नहीं।

सवाल यह है कि क्या कांग्रेस में ऐसी जगह बची है जहां थरूर जैसे नेता सांस ले सकें — बिना घुटे, बिना चुप कराए गए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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