देहरादून, जून 2025 – उस दिन मुख्यमंत्री धामीजी ने विधानसभा नहीं, बल्कि आकाश में कविता लिखी—प्रोटोकॉल नहीं, बल्कि हेलीकॉप्टर की धुन पर सुरक्षा की प्रतिज्ञा गूंजयी।
🌏 1. कर्तव्य से कम नहीं उड़ान
जब चारधाम की ओर उड़ान भरती सैंकड़ों यात्रीयों की आँखों में असीम विश्वास होता है, तब प्रदेश सरकार सरकारी आंकड़ों से ज़्यादा उनका जीवन महत्व देती है। मुख्यमंत्री बोले:
“उड़ान वही है जो सुरक्षित हो—कहाँ संख्या, कहाँ अनुभव, कहाँ सिस्टम—इन सबका संतुलन ज़रूरी है।”
🪵 2. ‘डबल इंजन’, ‘डबल ज़िम्मेदारी’
अब ना सिर्फ हेलीकॉप्टरों में दो इंजन होंगे, बल्कि दो गुना ज़िम्मेदारी भी होगी—एक टेक्निकल, एक ह्यूमेन ड्यूटी के साथ।
📷 3. हर घाटी की निगरानी होगी ‘लाइव कैमरे’ की तरह
केदार, बद्रीनाथ, गंगोत्री– चारधाम की ऊँचाई अब सिर्फ तीर्थस्थल नहीं, बल्कि एक बुद्धिमान निगरानी प्रणाली बनकर उभरेगी।
🛤️ 4. ‘हेली 2035’—एक दशक की सोच
उत्तराखंड अब आत्मनिर्भरता नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए उड़ान का रोडमैप बना रहा है—हेलीपैड, फ्यूल चैन, मौसम पूर्वानुमान और लोगों के लिए इसे संरचित करेगा।
✈️ 5. पायलट नहीं, “मानव रक्षक”
यात्री सीट पर बैठकर यात्रा नहीं शुरू हुई—अब हर पायलट की एक नैतिक जिम्मेदारी भी होगी।
“टेकऑफ़ भी तभी करेंगे जब इंसान अपने तूफान के साथ तैयार होगा।”
♻️ 6. ‘स्वच्छ उड़ान, सुंदर गाफन’
हेलीकॉप्टर जमीन नहीं, हवा की दुनिया में पहुंचता है—but अब उसका उतरना भी उतना ही शिष्ट होगा। चारधाम मार्गों पर अब भूमि तथा आकाश दोनों साफ़-सुथरे दिखेंगे।
🌟 **रिज़ल्ट? यह किसी प्रेस रिलीज़ का हिस्सा नहीं, बल्कि एक आकाशीय दिशा-निर्देश है—**जो हेली उड़ानों को सिर्फ सेवाएं न बनाकर, उत्तराखंड की आत्मा और उसकी जिम्मेदारी बना दे रहा है।
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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