छतरपुर। विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो से सटे राजनगर निवासी विपिन कुशवाहा ने लगभग 1 बीघा जमीन में खुशबूदार मैरिगोल्ड (गेंदा) फूल को खेती की है। उन्होंने बताया कि फूलों की खेती की शुरुआत पिछले साल से ही कर दी थी। विगत वर्ष कलेक्टर संदीप जी.आर. कि अध्यक्षता में आयोजित किसानों की वर्कशॉप में उन्हें फूलों की खेती करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि कलेक्टर ने किसानों से अपेक्षा करते हुए कहा था कि यहाँ के किसान फूलों की खेती की ओर अपना रुझान करें, जिससे खजुराहो और छतरपुर के आसपास होटल्स, शादी घरों और त्यौहारो में खुशबूदार सजावट के लिये बाहर से फूल आने की बजाए जिले के ही फूलों की सप्लाई हो। जिससे स्थानीय किसानों की आमदनी बढ़े।
फिर विपिन ने यह खेती करने की ठानी और 1 बीघा में गेंदे की पौध रोपी जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ। तब से उनके फूलों की मांग और बढ़ गई। इस वर्ष जून में फूलों की पौध को लगाया है जिनमें सितंबर से ही फूल आने शुरू हो जायेगे जो नवंबर तक चलेंगे। उन्होंने बताया कि डेकोरेटर ने उनसे पहले से सम्पर्क किया है और उनके फूल खजुराहो के साथ पन्ना में भी सप्लाई होते हैं।
छतरपुर में ही उपलब्ध हो जाती है सीड, सबसे पहले नर्सरी तैयार करें
विपिन ने बताया कि छतरपुर बाजार से ही गेंदे के फूल की सीड (बीज) उपलब्ध हो जाती है जिससे उन्हें 20-25 दिन में नर्सरी तैयार करने में लगते हैं। फिर उद्यानिकी विभाग से मिले मार्गदर्शन के अनुसार ड्रिप मल्चिंग पद्धति से पौध रोपण करते है और लगातार उनकी देख-रेख की जाती है। तब जाकर दो से ढाई महिने के बीच फूल तोड़ने काम शुरू हो जाता है।
तीन गुना मुनाफा, फूलों पर रोग कीटों का प्रभाव बेअसर
विपिन बताते है कि गेंदे के फूलों पर आमतौर पर सब्जियों की अपेक्षा रोग कीट कम आते है। जिससे फूलों को नुकसान नही पहुंचता। उन्होंने बताया की इल्ली और मकड़ी से बचाव आवश्यक होता है। जो आसान है। उन्होंने कहा जब फूल आते तो तुरंत तुड़ाई की जाती है जिससे नए फूल आते रहें। बाजार में एवरेज रेट 25-30 रुपए किलो रहता है जो लागत खर्च के तीन गुना होता है। जिससे आसानी है अच्छी खासी इनकम हो जाती है। इस खेती के लिए सर्दियों का सीजन लाभकारी नही है। जिले के कृषकों के लिए यह उदाहरण है की कम लागत में ही फूलों की खेती लाभकारी सिद्ध हो सकती है। जिसमें लागत के अनुरूप तीन का मुनाफा है।
