आपदा मित्रों की कार्यशाला को लखनलाल असाटी ने किया संबोधित
छतरपुर। एक मानव को पूरे जीवनकाल में 6 बड़े पेड़ की आवश्यकता होती है। यदि मानव हस्ताक्षेप न करें तो 10 साल में जंगल अपने आप आ जाएगा। मानव को यूज एण्ड थ्रो की जगह यूज एण्ड ग्रो पर काम करें तब हम प्रकृति को समृद्ध कर पाएंगे। होटल जटाशंकर पैलेस में 12 दिवसीय आपदा प्रबंधन कार्यशाला में राज्य आनंद संस्थान के जिला संपर्क व्यक्ति लखनलाल असाटी ने यह बात कही। इस अवसर पर होमगार्ड के जिला कमाण्डेंट करन सिंह ठाकुर, आपदा प्रबंधन के समन्वयक ऋषि गढ़वाल, मास्टर ट्रेनर आनंद विभाग श्रीमती आशा असाटी सहित अधिकारी, कर्मचारी एवं आपदा मित्र उपस्थित थे।
लखनलाल असाटी ने आपदा मित्रों की परिवार, समाज और प्रकृति में जिम्मेदारी और भागीदारी पर विस्तार से बातचीत की। उन्होंने कहा कि जब हम सही समझ और सही भाव रखते हैं तब हमारी इन व्यवस्थाओं में सही-सही भागीदारी हो पाती है जो हमारा मानव मूल्य होती है। उन्होंने कहा कि समाज और परिवार व्यवस्था को समझने के पहले खुद को समझना जरूरी है। मैं और मेरे शरीर की आवश्यकताओं, क्रियाओं तथा रिस्पोंस को समझ लेने के बाद मुझे अपनी भागीदारी में अधिक स्पष्टता हो जाती है। प्रकृति के साथ परस्पर पूरकता के लिए आवश्यक है कि प्रकृति से वस्तुएं प्राप्त करने की गति और प्रकृति के चक्र में वस्तुओं के वापस जाने की गति बराबर हो जाए। इसके लिए आवश्यक है कि यूज एण्ड थ्रो की जगह यूज एण्ड ग्रो पर काम करें। संसार में पशु, पक्षी, पेड़ पौधे सब एक-दूसरे को समृद्ध कर रहे हैं। हर इकाई दूसरी इकाई की पूरक है परंतु मानव परस्पर पूरकता के भाव से नहीं जी रहा।
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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