केंद्र एवं राज्य में भाजपा ने दिया सम्मान, बजट में 20 गुना अधिक प्रगति।
जब आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली द्रौपदी मुर्मू को देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति का सम्मान देने की तैयारी की जा रही थी, उस समय कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस सम्मान को अपमान में बदल कर रख दिया था। सार्वजनिक रूप से टीवी चैनल के सामने कांग्रेस पार्टी के इन वरिष्ठ पदाधिकारियों ने सीधे-सीधे राष्ट्रपति पद और आदिवासी समाज को अपमानित किया था। लेकिन केंद्र और मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा आदिवासी समाज के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं विकासवादी दृष्टि से उत्थान के लिए ऐतिहासिक प्रयास किए जा रहे हैं। आदिवासी विकास से संबंधित केंद्र की योजनाओं का बजट जहां 20 गुना से अधिक कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में भी आदिवासी समाज का विकास बजट 38% तक पहुंच चुका है, जो कांग्रेस की सरकार में मात्र 9% था ।
शिक्षा से लेकर राजनीतिक सम्मान तक आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक क्रांति ।
वर्ष 2014 के बाद अगर राजनीतिक सम्मान की दृष्टि से देखा जाए तो केंद्र सरकार की कई शासकीय, अशासकीय संस्थाओं में शीर्ष पदों पर आज आदिवासी समाज से जुड़े लोग सम्मान पा रहे हैं । वहीं दूसरी ओर सर्वोच्च अर्थात राष्ट्रपति पद पर आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला ही विराजमान है । वर्ष 2014 के बाद आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर 3% से बढ़कर आज 14% हो चुका है । 2014 से 2023 के बीच आदिवासी समाज की शिक्षा से लेकर उनकी विकास योजनाओं के लिए केंद्र सरकार का बजट लगभग 12% बढ़ चुका है ।
आदिवासी समाज के शिक्षा स्तर में प्रगति
राष्ट्रीय स्तर पर एकलव्य विद्यालय योजना का प्रारंभ अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में हुआ था और उसके बाद वर्ष 2004 से 2014 के बीच 10 वर्षों में केवल 90 एकलव्य आदिवासी स्कूल खोले गए थे, परंतु 2014 से 2023 के बीच हिंदुस्तान भर में 500 से अधिक एकलव्य विद्यालय संचालित हो रहे हैं। एक लाख से ज्यादा जनजातीय छात्र-छात्राएं हर वर्ष नए एडमिशन ले रहे हैं। ये एकलव्य विद्यालय आदिवासी समाज के बीच का 100 प्रतिशत सम्मानजनक स्थान पा चुके हैं ।
दर्जनों योजनाओं से बदलती मप्र की तस्वीर
मध्य प्रदेश में पिछले 18 वर्ष के अंतराल में आदिवासी समाज के हित में कुपोषण से मुक्ति के लिए आहार अनुदान योजना से लेकर शिक्षा योजना तक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति, आवास सहायता, मुख्यमंत्री मदद योजना, छात्रावास योजना एवं प्रतिभा योजना जैसी कई योजनाएं संचालित हैं जो आदिवासी समाज के बीच भाजपा सरकार का स्पष्ट प्रतिनिधित्व करती है।
प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा तथा भारिया के परिवारों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले 3 महीनों में 2 लाख 28 हजार से अधिक महिलाओं के खातों में 45 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अंतरित की है। जनजातीय वर्ग की महिला मुखिया के खातों में एक हजार रुपये प्रतिमाह के मान से यह राशि अंतरित की गई है। आदिवासी वर्ग के प्रतिभाशाली छात्र देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाकर अध्ययन कर सकें, इसके लिये आकांक्षा योजना के माध्यम से इसी अवधि में 721 आदिवासी विद्यार्थियों के लिये डेढ़ करोड़ रुपये की राशि जारी की गई। लॉकडाउन के दौरान भी आदिवासी वर्ग के ये विद्यार्थी भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में जेईई, नीट और क्लेट जैसी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। आदिवासी वर्ग के ऐसे विद्यार्थी, जिन्हें विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में प्रवेश नहीं मिल पाता है, उन्हें आवासीय सुविधा देने के लिये आवास योजना के माध्यम से आर्थिक मदद पहुँचाई जा रही है। पिछले 3 माह में 7 हजार आदिवासी वर्ग के विद्यार्थियों के खातों में 11 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि अंतरित की गई है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेसी शोषण का शिकार आदिवासी समाज
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की ओर से आदिवासी समाज के प्रतिनिधित्व की भूमिका में कोई चेहरा जेहन में नहीं आता है। लगभग 20 वर्ष पूर्व कांग्रेस सरकार के दौर में आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली स्वर्गीय जमुना देवी का नाम प्रतिनिधित्व की दृष्टि से मध्य प्रदेश में पहली बार सामने आया था, परंतु तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा राजनीतिक रूप से उनका भी लगातार तिरस्कार किया जाता रहा । वहीं दूसरी ओर कमलनाथ सरकार में भी आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले कैबिनेट मंत्री उमंग सिंघार हो अथवा डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक एवं कैबिनेट मंत्री ओंकार सिंह मरकाम हो, लगभग आधा दर्जन आदिवासी समाज से संबंधित कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ पर सीधा-सीधा आरोप लगाते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी में आदिवासी समाज का सम्मान ना होकर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है । उमंग सिंघार ने तो दिग्विजय सिंह को सीधे-सीधे ब्लैकमेलर करार देते हुए कई आरोप लगाए थे ।
कुल मिलाकर आदिवासी समाज के अपमान का खामियाजा आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक रूप से भुगतना ही होगा। परंतु देश की आजादी से लेकर आज तक विधानसभा एवं लोकसभा की बात की जाए तो केंद्र में आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व वर्तमान में सर्वाधिक है एवं मध्य प्रदेश में भी राज्य के गठन से लेकर आज तक भाजपा के राजनीतिक नेतृत्व में ही आदिवासी समाज का प्रतिशत सर्वाधिक है ।
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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1 thought on “आदिवासी समाज का अपमान, राजनीतिक शोषण कांग्रेस की परंपरा में शामिल।”
Hi just wanted to give you a quick heads up and let you know a few of the pictures aren’t loading properly.
I’m not sure why but I think its a linking issue.
I’ve tried it in two different browsers and both show the same results.!