Explore

Search
Close this search box.

Search

Saturday, July 27, 2024, 7:42 pm

Saturday, July 27, 2024, 7:42 pm

Search
Close this search box.

अधिक वोट दिलाने वाले पोलिंग को 25 लाख रूपये दिये जाने की लालच देने वाले मंत्री…

मंत्री गोविंद राजपूत
Share This Post

कैलाश विजयवर्गीय पर भी ऐसे ही आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने क्या किया ?


अधिक वोट दिलाने वाले पोलिंग को 25 लाख रूपये दिये जाने की लालच देने वाले मंत्री गोविंद राजपूत की उम्मीदवारी भाजपा वापस ले


एफआईआर दर्ज होना ही आरोप की प्रामाणिकता साबित कर रही है?


कमलनाथ के खिलाफ, विजयवर्गीय द्वारा झूठा आरोप लगाने

की भी कांग्रेस ने की चुनाव आयोग से शिकायत


भोपाल, 24 अक्टूबर 2023: प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने प्रदेश के राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत द्वारा उनके निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक वोट दिलाने वाले पोलिंग बूथ को 25 लाख रूपये की लालच दिये जाने के प्रामाणिक आरोपों के बाद दर्ज उनके विरूद्व एफआईआर के बाद कहा कि यह एफआईआर एक मंत्री द्वारा आदर्श आचार संहिता के विरूद्व सीधी चुनौती से जुड़ा मामला है। उस स्थिति में जब भाजपा सरकार के निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव खर्च की सीमा 40 लाख रूपये निर्धारित की गई है, तब एक ही पोलिंग बूथ को 25 लाख रूपये की लालच दिये जाने से जुड़ा मामला सीधे तौर पर भ्रष्ट आचरण अपनाने की परिधि में आता है। लिहाजा, भाजपा को चाहिए कि वह राजपूत की उम्मीदवारी वापिस ले?


श्री मिश्रा ने कहा कि ऐसा ही आचरण भाजपा के ही राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिस पोलिंग बूथ पर कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिलेगा, उसे 51 हजार का ईनाम दिया जायेगा। उनके इस बयान पर चुनाव आयोग ने स्वतः संज्ञान लेकर जिला निर्वाचन आयोग से जानकारी एकत्र की है, किंतु एक सप्ताह से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बाद भी अभी तक कोई असरकारक कार्यवाही दिखाई क्यों नहीं दी?


श्री मिश्रा ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि वह अपनी निष्पक्ष कार्यशैली प्रदर्शित करते हुये इन दोनों की मामलों पर गंभीरता से संज्ञान ले, ताकि आदर्श आचार संहिता का ईमानदारीपूर्वक दिखाई देने वाला परिपालन हो सके।मंत्री गोविंद राजपूत


श्री मिश्रा ने राज्य प्रशासनिक सेवा से जुड़ी दलित महिला अधिकारी श्रीमती निशा बांगरे के त्यागपत्र को भी राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के दबाव में सशर्त स्वीकार करने के आदेश पर भी कहा कि जिस तरह सरकार ने राजनैतिक ओछेपन और दुर्भावना के वशीभूत होकर निशा बांगरे को मानसिक प्रताड़ना दी है, वह एक अक्षम्य अपराध के रूप में दर्ज होगा।


श्री मिश्रा ने यह भी प्रश्न उठाया कि जब न्यायालय के आदेश पर जब उनके इस्तीफे पर सोमवार, 23 अक्टूबर 2023 को ही निर्णय लेना था और निर्णय ले भी लिया गया तो उसे आज सार्वजनिक करने का औचित्य, षड्यंत्र और दुर्भावनापूर्व रवैया सरकार की किस परिधि में आता है? क्या सरकार आमला से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने का इंतजार कर रही थी? जब निशा बांगरे ने यह घोषित ही नहीं किया था कि मैं किस पार्टी की ओर से चुनाव लडूंगी, तब सरकार को उनसे इतना खतरा क्यों था?


 


Share This Post

Leave a Comment