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Monday, December 9, 2024, 8:13 pm

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भाजपा सरकार ने किसानों के लिए बनाए युद्ध स्तर जैसे हालात: जीतू पटवारी

डर कर नहीं लड़ कर जंग जीती जाती है : जीतू पटवारी
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मोहन यादव सरकार किसानों से किए वादे पूरे करे अन्यथा मध्य प्रदेश में किसानों के आंदोलन के लिए स्वयं जिम्मेदार होगी: जीतू पटवारी

भोपाल, 12 फरवरी 2024: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान के बाद राजधानी दिल्ली के सभी बॉर्डर को छावनी में तब्दील कर दिया जाना और किसानों के 13 फरवरी को राजधानी आने की खबर के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा किसानों को रोकने के इंतजाम किया जाना तथा दिल्ली के तमाम बॉर्डर के अलावा सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर पुलिस तैनाती करना यह बता रहा है की भाजपा की केंद्र सरकार किसानों से कितनी डरी हुई है।

श्री पटवारी ने कहा कि पुलिस ने कटीले तारों के अलावा बैरिकेड्स, सीमेंट के बड़े-बड़े ब्लॉक, कंटेनर और दूसरे अवरोधक भी लगाए हैं, पंजाब और हरियाणा से आने वाले किसानों को इसके जरिए टारगेट किया गया है। सिंघु बॉर्डर पर पुलिस ने अस्थायी कार्यालय और कंट्रोल बनाने के अलावा एक किलोमीटर के दायरे में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं तथा ड्रोन की मदद से एरिया की निगरानी की जा रही है, ऐसा लग रहा है कि यह किसानों को रोकने की तैयारी नहीं बल्कि केंद्र सरकार के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस की गतिविधियां युद्धकाल जैसी किसी परिस्थितियों को लेकर तैयारी करने जैसी लग रही हैं जबकि किसान सिर्फ अपनी जायज़ मांगों को लेकर सरकार को अवगत करवाना चाहते हैं।

श्री पटवारी ने सरकार से आग्रह किया कि अहंकारी भाजपा सरकार जितनी कोशिश आंदोलन को असफल बनाने में कर रही है, यदि उससे आधे प्रयास भी किसानों की मांगों व समस्याओं को सुनने में लगा दे तो बहुत हद तक असलियत समझ आ जाएगी। श्री पटवारी ने इस बात की भी आशंका जताई कि कि केंद्र सरकार किसानों को उकसाने वाली कार्रवाई भी कर सकती है ताकि कानून व्यवस्था के नाम पर देश के सामने किसानों की छवि खराब की जा सके।

श्री पटवारी ने आगे जोड़ते हुए कहा कि एक मुद्दा तो यह भी है कि मध्यप्रदेश में किसानों को ₹2700 प्रति क्विंटल गेहूं और ₹3100 प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य घोषित करने के बावजूद भाजपा की कथित डबल इंजन सरकार ने साफ तौर पर वादाखिलाफी की। मोहन यादव सरकार इस बात को याद रखे कि मध्य प्रदेश में भी ऐसे ही किसी बड़े किसान आंदोलन के लिए वह खुद ही अब पूरी तरह से जिम्मेदार होगी।


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