उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही बिगड़ैल कानून व्यवस्था के साथ-साथ एक निर्णय यह भी लिया था की सड़कों के गड्ढे तुरंत भरे जाए यह निर्णय उन बदहाल सड़कों से आम परिवहन को राहत दिलवाने के लिए लिया गया था जो समाजवादी शासन के दौरान निर्मित हुई थी बताया गया कि घटिया रोड निर्माण के कारण कमीशन खोरी के कारण समाजवादी सरकार के कार्यकाल में सड़कें इतनी घटिया बनाई गई की उन में जगह-जगह गड्ढे हो गए और आम आवाम का सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया था. बस आम आवाम के इसी दुख को दूर करने के लिए समय की आवश्यकता है कि वह एक कैबिनेट मिनिस्टर के साथ प्रदेश में गड्ढा मंत्रालय की स्थापना करे जो युद्ध स्तर पर सड़कों पर उभर आए गड्ढों को जवाबदेही के साथ भरने का काम प्रारंभ करे. हां उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के प्रकरण में फर्क सिर्फ इतना सा है यहां 18 साल से निरंतर एक ही पार्टी की सरकार काम कर रही है इसलिए इन गड्ढों का दोषी किसी और को नहीं ठहराया जा सकता. अर्थात इन गड्ढों के लिए वर्तमान सरकार ही जिम्मेदार है और सड़कों के लिए जिम्मेदार विभाग पी डब्लू डी एमपीआरडीसी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि के कर्ता-धर्ता ही मुख्यतः इसके लिए जिम्मेदार हैं इन विभागों में भारी कमीशन खोरी विभागीय मंत्री का प्रशासनिक पकड़ से बाहर होना आदि बहुत से कारण इसके लिए जिम्मेदार हैं. कालांतर में विभागों के द्वारा ही सड़कों का निर्माण किया जाता था बाद में ठेकेदारी की प्रथा प्रारंभ हुई अनेक अच्छी कंपनियां भी आई उन्होंने अच्छे रोड बनाएं मगर कमीशन खोरी के चलते दोबारा उन्हें काम नहीं मिल सका जिसका ज्वलंत उदाहरण है किसी जमाने में शास्त्री एंड कंपनी द्वारा बनाया गया नर्मदा पुरम इटारसी रोड जिसमें गुणवत्ता के मामले में अपनी मिसाल कायम की आज सड़क के मामले में मध्य प्रदेश का फिसड्डी होना देश के लिए शर्म का विषय है जहां राजस्थान आंध्र प्रदेश गुजरात आदि प्रदेशों मैं जब यह समस्या व्याप्त नहीं है जिनके उदाहरण दिए जाते हैं फिर मध्यप्रदेश में यह समस्या क्यों व्याप्त है? और आज नहीं इस समस्या से ग्रस्त हुए प्रदेश को अनेक वर्ष हो गए लेकिन रिजल्ट वही ढाक के 3 पात है और आम आवाम इन घटिया सड़कों पर चलने के लिए अभिशप्त है. दुर्घटनाओं को सहने के लिए मजबूर है. पूरे प्रदेश में सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे आम आवाम की मौत का कारण बन रहे हैं और जिम्मेदार चैन की नींद सो रहे हैं. बारिश में डामरीकृत रोड बनने का उदाहरण भी सिर्फ मध्यप्रदेश में देखा जा सकता है क्योंकि समय सीमा में बिल निकालना है और बंदरबांट होना है जबकि ऐसा कहा जाता है कि पानी डामर का दुश्मन है इसके बाद बारिश में निर्मित किए जाने वाली सड़कों की गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है. सड़कों पर उभर आए गड्ढे आम जनता के लिए बारिश के मौसम में खास मुसीबत बन जाते हैं क्योंकि जब उन में पानी भरा होता है तब यह अंदाज लगाना मुश्किल है कि गड्ढा कितना गहरा है और इसके कारण जानलेवा दुर्घटनाएं निरंतर घटती है और आम आवाम काल के गाल में समा जाता है. बस यही कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार को आम आवाम के हित में निर्णय लेते हुए प्रदेश में एक गड्ढा मंत्रालय की स्थापना अति शीघ्र करना चाहिए जो एक कैबिनेट मंत्री के अधीनस्थ काम करे. क्योंकि विभाग जब स्वयं सड़क का निर्माण करते थे उस जमाने की बहुत सारी मशीनरी आज भी वर्किंग कंडीशन मैं प्रदेश के विभिन्न सरकारी कार्यालय कैंपस में अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है उनको भी काम मिल जाएगा और वह भंगार होने से बच जाएगी इसके साथ ही जिला स्तर पर मात्र थोड़े से संसाधन की उपलब्धता के साथ गड्ढा मंत्रालय युद्ध स्तर पर काम करते हुए अपनी उपयोगिता सिद्ध करते हुए आम आवाम को राहत पहुंचाने का काम करेगा. आज तो स्थिति यह है शिकायत करें तो कहां करें किससे करें ले देकर आम आवाम सिर्फ कलेक्टर के पास ही पहुंच पाता है जिनके पास समस्याओं का अंबार है और किसी एक विभागीय जिम्मेदार ना होने की अवस्था में वह भी मजबूर हैं. यदि सरकार वास्तव में जन हितेषी सरकार है संवेदनशील सरकार है और सुशासन स्थापना का सपना संजोए हुए हैं तो उसे गड्ढा मंत्रालय की स्थापना को उपहास में ना लेते हुए इस पर गंभीरता के साथ चिंतन करते हुए तत्काल गड्ढा मंत्रालय की स्थापना के आदेश देकर इस दिशा में युद्ध स्तर पर इस काम में उतर जाना चाहिएl

