नर्मदापुरम. लगता है पिछली सरकार ने जो सुशासन का नारा दिया था सुशासन के जो ख्वाब दिखलाए थे उनको पूरा ना होता देख जनहित में उन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के उच्च नेतृत्व ने डॉ मोहन भैया यादव को मुख्यमंत्री के पद से नवाजा है और यही नहीं इस महत्वपूर्ण काम में सफलता के लिए अलग-अलग विभागों में अनेक योग्यता प्राप्त उच्च मापदंड वाले माननी यो को अलग-अलग विभागों का दायित्व देकर सुशासन स्थापना के कार्य को गति देने का प्रयास भी किया है. हालांकि सभी जानते हैं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुशासन स्थापना की कड़ी चुनौती डॉ मोहन भैया यादव को देने के बाद ही पद मुक्त हुए हैं लेकिन यदि मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन भैया यादव की टीम के अन्य सदस्य उनके कंधे से कंधा मिलाकर साथ देते हैं तो इस चुनौती से पार पाना असंभव भी नहीं है. और इस चुनौती का एक स्वरूप मध्य प्रदेश में बिगड़ी हुई परिवहन व्यवस्था के रूप में सामने आता है जिससे निपटने की चुनौती मध्य प्रदेश के वर्तमान परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह की है अब वह इस चुनौती से निपटने में कितने सफल हो पाते हैं यह इतिहास के गर्भ में छुपा हुआ है. परिवहन के क्षेत्र में विकास की एक बानगी का वह दृश्य अत्यंत पीड़ादायक है जिसके अंतर्गत मध्य प्रदेश का परिवहन माफिया और मध्य प्रदेश के सरकारी परिवहन माफिया की मिली भगत से पूरे मध्य प्रदेश में आज भी नियम विरुद्ध लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए प्रदेश कें शहरी यात्रियों के साथ ही सुदूर ग्रामीण क्षेत्रो के यात्री भी भारी मानसिक और आर्थिक यंत्रणा के साथ यात्रा करने को मजबूर हैं सूत्र बतलाते हैं यह गैर कानूनी काम पूरी तरह मध्य प्रदेश सरकार में बैठे हुए सरकारी परिवहन माफिया और परिवहन माफिया की मिली भगत से ही संभव हो पा रहा है. उदाहरण के लिए विकास की बात करने वाले नोट करें 21वीं सदी में मगरदा(जिला हरदा) से भोपाल परमिट की खटारा बस 180 किलोमीटर का सफर लगभग 26 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 7 घंटे में पूरा करती है वर्तमान में तो शीत लहर है ग्रीष्मकालीन ऋतु में उन यात्रियों की मनोदशा की कल्पना आप कर सकते हैं. सूत्र बतलाते है कि पूरे प्रदेश में यह एक नए प्रकार का गोरख धंधा चल रहा है मिनी बसों का टैक्स बड़ी बसों के अपेक्षाकृत आधा लगता है और अन्य लागत भी लगभग आधी हो जाती हैं इसलिए छोटीबसो के परमिट बेधड़क बाटें जा रहे हैं क्योंकि बस बड़ी हो अथवा छोटी ओवरलोडिंग सहित सवारी तो उतनी ही जाना है जितनी बड़ी बसों में जाती हैं. हालांकि ऐसा नहीं है पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ध्यान इस और नहीं गया हो. गया था और उन्होंने घोषणा भी की थी की प्रदेश में लंबी दूरी पर मिनी बसों को परमिट जारी नहीं किए जाएंगे लेकिन यह घोषणा सिर्फ घोषणा ही रह गई क्योंकि सशक्त परिवहन माफिया के आगे उनको घुटने टेकने पड़े. अब समय आ गया है सुशासन स्थापना में एक-एक कदम आगे बढ़ रही डॉक्टर मोहन भैया यादव की सरकार मध्य प्रदेश के दूरस्थ परिवहन यात्रियों को इस मानसिक यंत्रणा से मुक्ति दिलवाएगी.
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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