केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दी परियोजना के लिए भूमि हस्तांतरण को मंजूरी
प्रदेश अध्यक्ष ने जताया प्रधानमंत्री, वन एवं पर्यावरण मंत्री, मुख्यमंत्री का आभार
भोपाल। बुंदेलखंड और पूरे मध्यप्रदेश के लिए आज बड़े सौभाग्य का दिन है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए 6017 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग की स्वीकृति दे दी है। इसके बाद अब परियोजना का काम पूरी रफ्तार से शुरू किया जा सकेगा तथा बुंदेलखंड को हरा-भरा और समृद्व बनाने का रास्ता खुल जाएगा। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के प्रति आभार जताते हुए कही।
प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि 2003 में भाजपा के सत्ता में आने से पहले मध्यप्रदेश की स्थिति जितनी खराब थी, उससे कहीं ज्यादा खराब हालात प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में थे। अधोसंरचना की स्थिति बदहाल थी, न रोजगार था और न ही किसानों को खेती के लिए पानी मिल पाता था। कांग्रेस सरकार की बुंदेलखंड के प्रति बेरुखी के चलते बड़ी संख्या में बुंदेलखंड के लोग रोजगार की तलाश में देश के अन्य हिस्सों में पलायन करने लगे थे। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने बुंदेलखंड में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं का विकास किया। इसके बावजूद यहां पानी की जितनी आवश्यकता थी, उतना उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को स्वीकृति देकर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलजी के सपनों को साकार किया और बुंदेलखंड तथा समूचे मध्यप्रदेश के विकास का मार्ग प्रशस्त कर दिया। अब वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इस परियोजना के लिए राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को वन भूमि के हस्तांतरण को स्वीकृति दे देने से परियोजना के काम को शुरू किया जा सकेगा।
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना में इतनी क्षमताएं और संभावनाएं हैं कि काम पूरा हो जाने के बाद यह परियोजना न सिर्फ बुंदेलखंड अंचल, बल्कि मध्यप्रदेश और सीमावर्ती उत्तरप्रदेश की भी तस्वीर बदल देगी। इस परियोजना से नॉन मानसून सीजन में मध्यप्रदेश को 1,834 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। परियोजना से मध्यप्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी एवं दमोह तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी एवं ललितपुर जिले लाभांन्वित होंगे। सिर्फ मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में ही इस परियोजना के पूर्ण हो जाने पर 283.85 लाख क्विंटल रबी फसल (गेहूं) की पैदावार में वृद्धि होगी। श्री शर्मा ने कहा कि परियोजना से मध्यप्रदेश की 41 लाख आबादी एवं उत्तरप्रदेश की 21 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा प्राप्त होगी। यही नहीं, बल्कि इस परियोजना में प्रस्तावित पावर हाउस से कुल 103 मेगावाट जल विद्युत एवं 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का भी प्रावधान है, जिससे देश-प्रदेश के विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
——-आशीष अग्रवाल——-
Author: This news is edited by: Abhishek Verma, (Editor, CANON TIMES)
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